मंत्र जाप के लिए माला का होना आवश्यक है। संख्या के बिना जप करने का कोई अर्थ नहीं निकलता, इसलिए एक सौ आठ चौवन अथवा सत्ताईस मनकों की मात्रा होनी चाहिए।
रविवार को मंत्र लेने से धन लाभ, सोमवार को शान्ति, मंगलवार को आयुक्षय, बुधवार को श्री वृद्धि, गुरुवार को ज्ञान लाभ, शुक्रवार को सौभाग्य हानि और शनिवार को अपकीर्ति होती है।
श्री घंटाकर्ण मंत्र सिद्धि से लक्ष्मी प्राप्ति एवं अनेक बाधाएं व अरिष्ट शान्त होते हैं।
पीले शीशे की बन्द बोतल में शुद्ध पानी भरकर धूप में रखें और इस पानी को सोते समय दो चम्मच पियें। निर्बल सूर्य को सबलता प्राप्त होगी।
हिन्दुओं की चौसठ योगिनी एवं बावन वीर में से यह एक महावीर घंटाकर्ण (बेताल) है। परवर्ती जैन धर्मावलम्बियों ने इस वीर को अपने धर्म में भी बड़ा भारी स्थान दिया, ऐसी मान्यता है कि घंटा की आवाज कानों तक पहुंचे इतनी देरी में ही इस महावीर की शक्ति काम कर जाती है।
यह अत्यन्त शुभप्रद, भाग्योन्नायक तथा लक्ष्मीप्रद यंत्र है। इससे हर प्रकार के भय का नाश होता है। शत्रु से रक्षा होती है।
यह मणिभद्र महाराज का सौ अक्षरों वाला महायंत्र है। घर में पवित्र स्थान में स्थापना व पूजन करने से घर में आनन्द रहता है, लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं।
जन्म कुण्डली के लग्न स्थान से म. 1/4/7/8/12वें स्थान में मंगल हो तो ऐसी कुण्डली मंगलीक कहलाती है।