श्री घण्टाकर्ण महावीर

GhantakarnaMahaveer

श्री घण्टाकर्ण महावीर

हिन्दुओं की चौसठ योगिनी एवं बावन वीर में से यह एक महावीर घंटाकर्ण (बेताल) है। परवर्ती जैन धर्मावलम्बियों ने इस वीर को अपने धर्म में भी बड़ा भारी स्थान दिया, ऐसी मान्यता है कि घंटा की आवाज कानों तक पहुंचे इतनी देरी में ही इस महावीर की शक्ति काम कर जाती है। सबसे पहले भोजपत्र पर अष्टगंध में घंटाकर्णयन्त्र बनाकर उसमें प्राणप्रतिष्ठा करें तश्चात ग्रहणकाल अथवा होली, दीपावली जैसे विशिष्ट अवसर पर दस हज़ार जाप कर यन्त्र सिद्ध कर लें। भूत-प्रेत, डाकनी-शाकनी, नजर टोकार एवं पिशाच बाधा में इस वीर का मंत्र तत्काल काम करता है। चाकू या मोरपांखे के द्वारा इसके मन्त्र से झाड़-फूंक करने पर बाधित व्यक्ति को तत्काल राहत मिलती है।

इसका मूल मन्त्र इस प्रकार है:

घंटाकर्ण महामन्त्र-

ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥

यत्र त्व तिष्ठसे देव! लिखितो ऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥

तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्‌।
शाकिनी-भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥

नाकाले मरण तस्य, न च सर्पेण दृश्यते।
अग्नि चौर भयं नास्ति, ॐ ह्वीं श्रीं घंटाकर्ण नमोस्तुते!

ऊँ नरवीर! ठः ठः ठः स्वाहा।।

विशेष- राजकामना, लक्ष्मीकामना और खासकर शत्रु नाश कामना में और भूत- पलीत कामना में जल, मंत्र कर पिलाने से भूत-प्रेत, रोग एवं अकाल मृत्यु से राहत मिलती है। इस मन्त्र को सिद्ध करने पर दशांश आहुति गुग्गल धूप से दी जाती है तथा झाड़-फूंक के समय गुग्गल धूप देने से मंत्र का असर जल्दी व अधिक प्रभावशाली होता देखा गया है।

घंटाकर्ण लघु-मंत्र – ॐ घंटाकर्णो महावीरो ( अमुकस्य / मम) सर्वोपद्रवं नाशनम् कुरू कुरू स्वाहा।

फल – एक लाख मंत्र जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। इसमें अमुकस्य शब्द के स्थान पर स्वयं का नाम अथवा मम शब्द का उच्चारण करना चाहिये। इस मंत्र के प्रयोग से सभी प्रकार के उपद्रवों का नाश होकर व्यक्ति विशेष की उन्नति होती है।

कामण टूमण दूर करने का मंत्र – अमुक जातकस्य उपरि चिनते चिन्तावे, जेड जडावें धरे धारवे अस्य उपरि कृत कामण, टूमण, नजर टोकर मध्ये, डाकिनी शाकिनी मध्ये, छल मध्ये, छिद्रामध्ये, इष्टमध्ये, मूठ मध्ये, यतदोषं जात, तत् परिहर परिहर ही घंटाकर्ण नमोऽस्तुते । अस्य सर्वान रोगान् दोषान, निवामारय निवारय, दूरीकुरु,
ठ ठ ठ स्वाहा ।

लक्ष्मी प्राप्ति का घंटाकर्ण मंत्र – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ठं ॐ घंटाकर्ण महावीर लक्ष्मी पूरय-पूरव सुख सौभाग्य कुरू कुरू स्वाहा ।

धनत्रयोदशी को 40 माला, रूप चतुर्दशी को 42 और दीपावली के दिन 43 माला उत्तर दिशा की तरफ बैठकर जपें। लाल पीताम्बर, मूंगे की माला व रक्त चंदन से घंटाकर्ण मन्त्र की पूजा करें, धूप बत्तीसा या चन्दन अगरबत्ती जलाएं, ऐसा करने पर वीर घंटाकर्ण की कृपा से शीघ्र लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

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