शनि यंत्र
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नवग्रह में शनि को न्यायकारक ग्रह के रूप में माना जाता है। शनिदेव का नाम सुनते ही अक्सर मन में भय पैदा हो जाता है लेकिन शनि देव न्याय के देवता है इसलिए जैसा आप कर्म करते हैं वैसा ही आपको फल मिलता है। यदि आप अपने जीवने में अच्छे कर्म करते हैं तो उसे शनि देव सुख की अनुभूति कराते हैं वहीं जो जातक पाप कर्म करते हैं उन्हें नरक भुगतना पड़ता है। जिस जातक की कुंडली में शनि की साढ़े साती और ढैय्या चल रही होती है उसे अशुभ फल और पीड़ा से गुजरना पड़ता है। ऐसे जातकों के लिए शनि यंत्र सबसे रामबाण उपाय है। शनि यंत्र (Shani Yantra) की मदद से किसी जातक की कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव को कम भी किया जा सकता है। मकर व कुंभ राशि वालों को, मकर और कुंभ लग्न वालों को एवं जिनकी शनि की महादशा चल रही हो उनको इस यंत्र को धारण करना चाहिए।
घर में शनि यंत्र स्थापित करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा (नकारात्मक ऊर्जा हटाने के उपाय) नष्ट हो जाती है।
घर में शनि यंत्र स्थापित करने से शनि देव की वक्र दृष्टि से बचा जा सकता है।
घर में शनि यंत्र स्थापित करने से शनि साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम हो जाता है।
घर में शनि यंत्र स्थापित करने से मानसिक और शारीरिक बल प्राप्त होता है।
घर में शनि यंत्र स्थापित करने से न्याय करने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
घर में शनि यंत्र स्थापित करने से नजर दोष और ऊपरी बाधाओं से बचा जा सकता है।
शनि यन्त्र स्थापना विधि
शनि यंत्र की स्थापना के लिए, शनिवार के दिन सुबह स्नान करें और साफ़ कपड़े पहन लें। इसके बाद, शनि यंत्र को शनिदेव की मूर्ति के साथ रखें और उस पर गंगाजल छिड़कें। फिर, दीपक और धूप जलाकर शनिदेव के सामने फल-फूल चढ़ाएं। इसके बाद, 11 या 21 बार शनि बीज मंत्र जाप करें।
मंत्र है, “ऊँ शं शनैश्चराय नम:”। फिर, यंत्र पर गंगाजल छिड़कें और शनिदेव से प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें।
शनि यंत्र को पूर्व दिशा में स्थापित करना सबसे अच्छा माना जाता है। इसे उस जगह पर भी रखा जा सकता है, जहां घर में सबसे पहले सूर्य की किरणें पड़ती हों। शनि यंत्र को टेबल पर रखा जा सकता है या दीवार पर लटकाया जा सकता है। यंत्र को पूर्व दिशा में पश्चिम की ओर मुंह करके रखना सबसे अच्छा होता है।
Reviews
There are no reviews yet.