केतु यंत्र
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नक्षत्र मंडल में राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जो शनि से भी ज्यादा लोगों को डराते हैं। वास्तव में ये छाया ग्रह माने जाते हैं। शनि के साथ एक चीज यह जुड़ी होती है कि ये न्याय के देवता माने जाते हैं और कभी भी किसी निरपराध को नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन राहु-केतु के साथ ऐसा नहीं है। क्षुद्र ग्रह होने के कारण केतु व्यक्ति को अक्सर भ्रम का शिकार बनाता है और उनके जीवन को पूर्णतया नष्ट कर सकता है। कुंडली में राहु और केतु की दशाएं जानकर इनके उपाय किए जा सकते हैं। लेकिन राहु से भी अधिक नुकसानदेह केतु के माने जाने के कारण कुंडली में इसकी उच्च और नीच दशाओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
केतु यंत्र से धारक को छाया ग्रह केतु का आशीर्वाद मिलता है।
केतु यंत्र की नियमित पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
केतु यंत्र से अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि में सुधार होता है।
केतु यंत्र से शत्रुओं पर व्यापार और विजय में सफलता मिलती है।
केतु यंत्र गुरु चांडाल दोष और सर्प दोष जैसे केतु दोषों को कम करता है।
केतु यन्त्र स्थापना विधि
किसी भी शुभ मुहूर्त में घर के पूजन स्थल पर केतु यंत्र की स्थापना करें। इसके आगे धूप और दीप जलाएं। अब अपने ईष्ट देव के साथ-साथ केतु ग्रह की भी आराधना करें और उनसे अपने और अपने परिवार के ऊपर कृपा बरसाने की प्रार्थना करें। गंगाजल छिड़क कर घी का दीया जलाएं।
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