मंगल ग्रह की स्थिति के अनुसार तेजी-मन्दी का विचार
मंगल ग्रह की स्थिति के अनुसार तेजी-मन्दी का हर राशी में अलग अलग विचार होता है। जब मंगल मार्गी होता है, तब रूई मन्दी होती है।
मेष राशि का मंगल मार्गी हो तो मवेशी सस्ते होते हैं। वृष का मंगल मार्गी हो तो रुई तेज होकर मन्दी होती है। तथा चाँदी में घटा-बढ़ी होती है।
मिथुन और कर्क राशि के मार्गी मंगल का फल तेजी-मन्दी के लिए नहीं है। सिंह का मंगल मार्गी होने पर एक मास तक अलसी और गेहूँ में तेजी रहती है।
कन्या का मंगल मार्गी हो तो रूई, अलसी, गेहूँ, तेल, तिलहन आदि पदार्थ तेज होकर मन्दे होते हैं। तुला का मंगल मार्गी होने पर गुजरात और कच्छ में धान्य भाव को महँगा करता है।
वृश्चिक का मंगल मार्गी होने पर चौपायों में लाभ करता है। धनु का मंगल मार्गी होने पर धान्य सस्ता करता है। मकर का मंगल मार्गी हो तो पंजाब तथा बंगाल में धान्य का भाव तेज होता है।
कुम्भ का मंगल मार्गी होने पर सभी प्रकार के धान्य सस्ते होते हैं और मीन के मंगल में भी धान्य का भाव सस्ता ही रहता है। मेष और वृश्चिक के बीच राशियों में मंगल के रहने पर दो मास तक धान्य भाव तेज रहता है।
जिस महीने मे सभी ग्रह वक्री हो जावें, उस मास में अति महंगी होती है। मीन में मंगल के वक्री होने पर धान्य और घी तेज; कुम्भ में वक्री होने पर धान्य सस्ते और घी, तेल आदि तेज; मकर मे मंगल के वक्री होने से लोहा, मशीनरी, विद्युद्यन्त्र, गेहूँ, अलसी आदि पदार्थ तेज होते हैं।
कर्क राशि मे मंगल के वक्री होने से गेहूँ और अलसी में घटा-बढ़ी होती रहती है। जिस राशि मे मंगल वक्री होता है, उस राशि के धान्यादि अवश्य तेज होते हैं।
माघ अथवा फाल्गुन में कृष्णपक्ष की १,२,३ तिथि को मंगल के वक्री होने पर अन्न का संग्रह करना चाहिए। इस संग्रह में १५ दिनो के बाद ही चौगुना लाभ होता है। जिस मास में पूर्णिमा के दिन वर्षा होती है, उस मास में गेहूँ, घी और धान्य तेज होते हैं।