प्राकृतिक रूप से चार प्रमुख दिशाएं, चार विदिशाएं तथा ऊध्र्व एवं अधी, इस प्रकार दश दिशाएं वास्तु शास्त्र में मानी जाती हैं। प्रत्येक दिशा का अपना-अपना महत्व एवं गुणधर्म निम्नानुसार हैं।
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बिना दरवाजा लगा, बिना छतवाला, बिना देवताओं को बलि (नैवेद्य) तथा ब्राह्मण-भोजन कराये हुए घर में गृहप्रवेश नहीं करना चाहिये, क्योंकि ऐसा घर विपत्तियोंका घर होता है।
कछुए की आत्मा दीर्घायु, सहन शक्ति, संघर्ष व निरंतरता का प्रतिनिधित्व करती है। जिस घर में कछुआ होता है, उस घर में परिवार सुखी व संतुष्ट रहता है। Black Tortoise And Feng-shui
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई दोनों में ही कछुए को बहुत शुभ माना जाता है। कछुए में नेगेटिव एनर्जी को खत्म करके पॉजिटीव एनर्जी बढ़ाने की अद्भुत ताकत मानी जाती है।
कछुआ का प्रतीक एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है तथा जीवन में खुशहाली आती है।
कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र है, जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है और खुशहाली आती है। वास्तु तथा फेंगशुई में स्फटिक निर्मित कछुआ घर में रखना ज्यादा असरकारी माना जाता है।
Tortoise in Vastu Shastra – वास्तु के अनुसार भवन में कछुए को उत्तर दिशा में रखने से धन का लाभ और शत्रुओं का नाश होता है।
उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं।
घरके किसी अंशको आगे नहीं बढ़ाना चाहिये। यदि बढ़ाना हो तो सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ाना चाहिये।
दक्षिण की ओर पैर करके सोने पर चुम्बकीय धारा पैरों से प्रवेश करेगी है और सिर तक पहुंचेगी. इस चुंबकीय ऊर्जा से मानसिक तनाव बढ़ता है और सवेरे जगने पर मन भारी-भारी रहता है।
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