सोये (शयन) कब और केसे?
१. सदा पूर्व या दक्षिणकी तरफ सिर करके सोना चाहिये। उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं। अधिक जानकारी के लिए पढे
२. पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है। दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन तथा आयु की वृद्धि होती है। पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता होती है। उत्तर की तरफ सिर करके सोने से हानि तथा मृत्यु होती है अर्थात् आयु क्षीण होती है।
३. अधोमुख होकर, नग्न होकर, दूसरे की शय्या पर, टूटी हुई खाट पर तथा जनशून्य घर में नहीं सोना चाहिये।
४. जो विशाल (बड़ी) न हो, टूटी हुई हो, ऊँची-नीची हो, मैली हो अथवा जिसमें जीव हों या जिसपर कुछ बिछा हुआ न हो, उस शय्यापर नहीं सोना चाहिये।
५. टूटी खाट पर नहीं सोना चाहिये।
६. बाँस या पलाश की लकड़ी पर कभी नहीं सोना चाहिये।
७. सिरको नीचा करके नहीं सोना चाहिये।
८. जूठे मुँह नहीं सोना चाहिये।
९. नग्न होकर नहीं सोना चाहिये।
१०. सूने घर में अकेला नहीं सोना चाहिये। देवमन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिये।
११. अँधेरे में नहीं सोना चाहिये।
१२. भीगे पैर नहीं सोना चाहिये। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
१३. निद्रा के समय मुख से ताम्बूल, शय्या से स्त्री, ललाट से तिलक और सिर से पुष्प का त्याग कर देना चाहिये।
१४. रात्रि में पगड़ी बाँधकर नहीं सोना चाहिये।
१५. दिन में कभी नहीं सोना चाहिये। रात के पहले और पिछले भाग में भी नींद नहीं लेनी चाहिये। रात के प्रथम और चतुर्थ पहर को छोड़कर दूसरे और तीसरे पहर में सोना उत्तम होता है।
१६. दिन में और दोनों सन्ध्याओं के समय जो नींद लेता है, वह रोगी और दरिद्र होता है।
१७. जिसके सोते-सोते सूर्योदय अथवा सूर्यास्त हो जाय, वह महान् पाप का भागी होता है और बिना प्रायश्चित्त के शुद्ध नहीं होता।
१८. जो मनुष्य रुग्णावस्था को छोड़कर सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय सोता है, वह प्रायश्चित्त का भागी होता है।
१९. दिन में और सूर्योदय के बाद सोना आयु को क्षीण करनेवाला है। प्रात: काल और रात्रि के आरम्भ में भी नहीं सोना चाहिये।
२०. स्वस्थ मनुष्य को आयु की रक्षा के लिये ब्राह्म मुहूर्त में उठना चाहिये।
२१. किसी सोये हुए मनुष्य को नहीं जगाना चाहिये।
२२. विद्यार्थी, नौकर, पथिक, भूख से पीडित, भयभीत, भण्डारी और द्वारपाल – ये सोये हुए हों तो इन्हें जगा देना चाहिये।
गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तक क्या करे क्या ना करे से साभार