माणिक्य – धनु लग्न में सूर्य नवम (भाग्य) भाव का स्वामी होता है और यहां भी वह लग्नेश का मित्र होता है। अतः धनुलग्न के जातक माणिक्य रत्न भाग्योन्नति, आत्मोन्नति तथा पितृ सुख के लिए आवश्यकतानुसार धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में माणिक्य रत्न विशेष रूप से लाभदायक होगा।
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मंगल की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा में पित्त, उष्णता होने या चोट लगने का भय हो, भाईयों से वियोग हो । जाति के लोगों से, शत्रुओं से, राजा से तथा चोरों से विरोध हो । अग्नि पीड़ा का भय हो ।
सभी ग्रह सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। अर्थात कोई भी ग्रह कुण्डली के जिस भाव में भी बैठा हो, उससे सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है।