ज्योतिष में हीरा
शुक्र ग्रह के कुपित होने से व्यक्ति को श्लैष्मिक, पीलिया, कामशक्ति दौर्बल्य, मूत्रकृच्छ तथा गुप्त यौन रोग उत्पन्न हो सकते है। शुक्र ग्रह कारक रोगों से ग्रसित व्यक्ति को हीरा (Diamond) धारण करना चाहिये।
हीरे के धारण से लाभ
हीरा शुक्रग्रह का रत्न होता है। जो लोग हीरे को धारण करते हैं उनके चेहरे पर हर समय खिली हुई मुस्कान रहती है, झंझलाहट और परेशानी उनके निकट नहीं आती। जीवन को दिनचर्या व्यवस्थित रहती है। इसके धारण करने से दाम्पत्य जीवन सरस हो जाता है।
शरीर के अनेक रोगों पर भी हीरे की पकड है। जो लोग शरीर से कमजोर हैं, उनके लिये औषधि का काम करता है। इसके धारण से शरीर में शान्ति आती है। मानसिक दुर्बलता समाप्त होती है। नवीन चेतना का संचार होता है। प्रभाव में वद्धि होती है। जीवन में जो विशेषतायें होनी चाहिये अनायास मनुष्य में आने लगती हैं।
धारण विधि
हीरा रत्न (Diamond) शुक्र की गृह दशाओं को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। इसे बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के धारण नहीं करना चाहिए। इस रत्न को चाँदी या सोने की धातु में इष्टदेव के चरणस्पर्श कर धारण करना विशेष प्रभावशाली होता है।
हीरा धारण करने से पहले गुरुवार की रात को ही दूध, गंगा जल, मिश्री और शहद मिश्रित पानी में डाल कर रख दें। उसके बाद अगले दिन शुक्रवार को धुप दिखाकर शुक्र देव के बीज मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का 108 बार जाप करें और हीरे की अंगूठी को मां लक्ष्मी के चरणों में रख दें। फिर इसके कुछ देर बाद इसे सीधे हाथ की अनामिका (Index) उंगली में धारण कर लें। ज्योतिषियों का कहना है कि हीरा अपना प्रभाव 20 से 25 दिन में दिखाना शुरू कर देता है। फिर ग्रह दशाओं के अनुरूप ज्योतिषीय परामर्श लेकर इसे समय के साथ उतार भी दें।