जो भूमि बोये हुए बीजों की तीन दिन में उगाने वाली, सम चौरस, दीमक रहित बिना फटी हुई शल्य रहित और जिसमें पानी का प्रवाह पूर्व ईशान या उत्तर तरफ जाता हो ऐसी भूमि सुख देने वाली है।
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वास्तु शास्त्र में उल्लेख है केि प्राकृतिक रूप से यदि भूमि की आठ दिशाओं का परिमाण सम और चौरस हो तो वह भूमि उत्तम है।
कृषि भूमि का आकार चौकोर हो तथा उत्तर पूर्व या ईशान की ओर उसका उतार हो तो श्रेष्ठ हैं। यदी चौंकोर न हो तो चौकोर करवाए।
घर का उत्तर-पूर्व कोण वास्तु के अनुसार हर घर का ईशान कोण सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।