कुण्डली के प्रथम भाव में शनि और शुक्र की युति हो तो द्विभार्या योग बनता है। सामान्य सुख प्राप्त होगा।
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शनि और गुरु के योग का फल | Shani Guru Yuti Fal कुंडली के बारह भावो में शनि और गुरु की युति का फल निम्न अनुसार है :-
कुण्डली के प्रथम भाव में शनि और बुध का योग हो तो जातक परोपकारी तथा सरल हृदय वाला होगा। सत्यभाषी होने के कारण उसे सम्मान तो मिलेगा किन्तु यदा-कदा अपयश भी प्राप्त होगा।
जातक को शनि चन्द्र योग ग्रह के प्रभाव से अपमानित एवम् संघर्षमय जीवन व्यतीत करना पड़ता है। जातक लम्बी आयु वाला संघर्षशील होगा।
प्रथम भाव में शनि के साथ सूर्य का योग होने पर धन की कमी, पारिवारिक कलह, संचित सम्पत्ति का नष्ट होना, उन्माद, अकर्मण्यता, रोग-व्याधि आदि का प्रभाव रहता है।
कुण्डली में शनि की शुभ- दशा हो तो जातक कारोबार में लाभ, व्यावसायिक लाभ, अधिकारी होना या जातक गांव, नगर अथवा प्रदेश में विशिष्ठ पद प्राप्त करता है ।
शनि के श्रेष्ठ घर, मंदे घर, रंग, शत्रु ग्रह मित्र ग्रह, कार्य, व्यवसाय आदि की संक्षिप्त तालिका
लग्न को चन्द्रमा पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक प्रवासी, व्यवसायी, भाग्यवान्, शौकीन, कृषण और स्त्रीप्रेमी होता है।
प्रथम भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक रजोगुणी, नेत्ररोगी, सामान्य धनी, साधुसेवी, मन्त्रज्ञ, वेदान्ती, पितृभक्त, राजमान्य और चिकित्सक होता है।