चन्द्रमा का बारह भावो पर दृष्टि का फल | Chandra Drashti Fal
- लग्न को चन्द्रमा पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक प्रवासी, व्यवसायी, भाग्यवान्, शौकीन, कृपण और स्त्रीप्रेमी होता है।
- चन्द्रमा द्वितीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक अधिक सन्ततिवाला, सामान्य सुखी, ८-१० वर्ष की अवस्था में शारीरिक कष्टयुक्त, धनहानिकारक, जल में डूबने की आशंकावाला और चोट, घाव, खरोंच आदि के दुख को प्राप्त करनेवाला होता है।
- तृतीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक धार्मिक, प्रवासी, अधिक बहन तथा कम भाईवाला, २४ वर्ष की अवस्था से पराक्रमी, सत्संगतिप्रिय और मिलनसार होता है।
- चतुर्थ भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक २४ वर्ष की अवस्था से सुखी होनेवाला, राजमान्य, कृषक, वाहनादि सुख का धारक और मातृसेवी होता है।
- पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक व्यवहारकुशल बुद्धिमान्, प्रथम पुत्र सन्तान प्राप्त करनेवाला और कलाप्रिय होता है।
- षष्ठ भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक शान्त, रोगी, शत्रुओं से कष्ट पानेवाला, गुप्त रोगों से आक्रान्त, व्यय अधिक करनेवाला और २४ वर्ष की अवस्था में जल से हानि प्राप्त करनेवाला होता है।
- सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक सुन्दर सुखी, सुन्दर स्त्री प्राप्त करनेवाला, सत्यवादी, व्यापार में धन संचित करनेवाला और कृपणः होता है।
- अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक पित्रधननाशक, कुटुम्बविरोधी, नेत्ररोगी और लम्पट होता है।
- नवम भाव की पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक धर्मात्मा भाग्यशाली, भ्रातृहीन और बुद्धिमान् होता है।
- दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक पशु व्यवसायी, धर्मान्तर में दीक्षित होनेवाला, पितृविरोधी और चिडचिडे स्वभाव का होता है।
- एकादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक लाभ प्राप्त करनेवाला, कुशल व्यवसायी, अधिक कन्या सन्ततिवाला और मित्रप्रेमी होता है।
- द्वादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक शत्रु द्वारा धन खर्च करनेवाला, चिन्तायुक्त, राजमान्य एवं अन्तिम जीवन में सुखी होता है।
हर राशी में चन्द्रमा का फल अलग अलग होता है फल कथन के पहले इस चीज का ध्यान अवश्य रखे।