प्रतयेक कुण्डली में एक विशेष ग्रह होता है, जो कुण्डली का प्राण होता है। इस ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति कों सफलता नहीं मिलती है, अगर मिलती भी है तो बड़ी मुशकीलों का सामना करना पड़ता है।
Author Archives: Rajkumar Jain
सूर्य से-पिता, चन्द्रमा से-मन, मंगल से-पराक्रम, बुध से-विद्या, गुरु से-बुद्धि, पुत्र और ज्ञान शुक्र से-स्त्री, वाहन, शनि से आयु, जीवन, मृत्यु, राहु से-पितामह (पिता का पिता) केतु से-मातामह (नाना) का विचार करें।
नक्षत्रों की कुल संख्यां 27 होती है ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों को तीन-तीन नक्षत्रों का आधिपत्य दिया गया है
सर्वकार्य लाभदाता बीसायन्त्र कार्यक्षेत्र में सफलता, व्यापार में उन्नति, मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति, आकर्षण शक्ति प्रदान कर समस्त कार्य सिद्ध करता है।
जब क्लेश दिन पर दिन बढता जाता है। और एसे समय में गृह क्लेश निवारण बीसा यन्त्र बहुत काम देता है।
बाल रक्षा बीसा यन्त्र के प्रभाव से बालक, बालिका को भय, चमक, डर आदि उपद्रव नहीं होते है।
संपूर्ण ज्योतिष मुख्य रूप से नौ ग्रहों, बारह राशियों, सत्ताईस नक्षत्रों और बारह भावों (भाव) पर आधारित है।
मनुष्य की जन्म कुंडली में बारह घर अथवा भाव होते है। तनु, धन, सहज, सुख, पुत्र, रिपु, जाया, आयु, धर्म, कर्म, लाभ, व्यय हर भाव कुछ कहता है।