घरके किसी अंशको आगे नहीं बढ़ाना चाहिये। यदि बढ़ाना हो तो सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ाना चाहिये।
Author Archives: Rajkumar Jain
अंक यन्त्रों का अपने आप में भारी महत्त्व है। यन्त्र विज्ञान में अंकों के माध्यम से कठिन कार्य सिद्ध होते देखे गये हैं। अंक यन्त्र में पन्द्रह से लगाकर 10,00,000 तक की संख्या के अंक होते हैं।
पानी को छानकर ही प्रयोग करना चाहिए। अगर पानी गंदा हो तो, पीने से पहले उसको किसी भी विधि द्वारा फिल्टर करना चाहिए। कठोर पानी पीने योग्य नहीं होता। उबला हुआ पानी स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद होता है।
भाग्येश जब भाग्य-स्थान में हो तो व्यक्ति धनधान्य से युक्त होता है। उसे बहुत भ्राताओं से सुख मिलता है और वह गुणवान तथा रूपवान होता है।
जब अष्टमेश छठे अथवा बारहवें स्थान में हो तो व्यक्ति नित्य रोगी होता है। बाल्यावस्था में उसको जल तथा सर्प से भय होता है।
जब चतुर्थेश चतुर्थ स्थान में हो तो व्यक्ति मंत्री, धनवान, चतुर, शीलवान, अभिमानी, सुखी और स्त्रियों का प्रिय होता है।
जब तृतीयेश तीसरे स्थान में हो तो मनुष्य पराक्रमी, पुत्रो से युक्त, धनवान, अति प्रसन्न और अदभुत सुख का भोग करने वाला होता है।
जब धनेश धन-स्थान में हो तो व्यक्ति धनी, अभिमानी, दो या तीन स्त्री वाला और पुत्रहीन होता है।
जब लग्नेश लग्न में हो तो मनुष्य (जातक) उत्तम शरीर वाला, पराक्रमी, उदार, चंचल स्वभाव का, दो विवाह करने वाला अथवा परस्त्रीगामी होता है।