सुखेश का फल
जब चतुर्थेश चतुर्थ स्थान में हो तो व्यक्ति मंत्री, धनवान, चतुर, शीलवान, अभिमानी, सुखी और स्त्रियों का प्रिय होता है।
चतुर्थेश पंचम या भाग्य-स्थान में हो तो व्यक्ति सुखी, सब लोगों का प्रिय, विष्णु-भक्त, अभिमानी और अपने बाहुबल से धन का उपार्जन करने वाला होता है। जब चतुर्थेश शत्रुग्रह में हो तो व्यक्ति बहुत माताओं से पालित होता है। वो क्रोधी, चोर, दुष्टचित्त और जादू करने वाला होता है।
जब चतुर्थेश सप्तम या लग्न में हो तो व्यक्ति अनेक विद्याओं को जानने वाला, पिता के उपार्जित धन का त्याग करने वाला और सभा में जडवत होता है।
चतुर्थेश व्यय अथवा अष्टम स्थान में हो तो व्यक्ति सुखहीन होता है। पिता से उसे अल्पसुख मिलता है और नपुंसक अथवा जारजात होता है। चतुर्थेश कर्म-स्थान में हो तो मनुष्य राजमान्य, रसायन विद्या जानने वाला. अति प्रसन्न और अद्भुत सुख का भोग करने वाला होता है।
जब चतुर्थेश तृतीय या लाभ-स्थान में हो तो व्यक्ति नित्य रोगी, उदार, गुणवान, दाता और अपने पराक्रम से द्रव्य उपार्जन करने वाला होता है। जब चतुर्थेश धन-स्थान में हो तो व्यक्ति अभिमानी, सब प्रकार की सम्पत्तियों से युक्त, कुटुम्बी, भोगी तथा साहसी होता है।