नवमेश का फल
भाग्येश जब भाग्य-स्थान में हो तो व्यक्ति धनधान्य से युक्त होता है। उसे बहुत भ्राताओं से सुख मिलता है और वह गुणवान तथा रूपवान होता है।
जब भाग्येश दशम अथवा चतुर्थ स्थान में हो तो व्यक्ति मंत्री, सेनापति, पुण्यात्मा, कीर्तिमान, अभिमानी, वक्ता, साहसी तथा क्रोधी होता है।
यदि भाग्येश पंचम अथवा लाभस्थान में हो तो व्यक्ति भाग्यवान, लोकप्रिय, गुरुभक्त, अभिमानी, वैरभाव करने वाला तथा गुणग्राहक होता है।
जब भाग्यवेश अष्टम अथवा द्वादश स्थान में हो तो व्यक्ति भाग्यहीन होता है। मामा और बड़े भाई का सुख उसे कभी नहीं मिलता।
सप्तम अथवा लग्न स्थान में भाग्येश हो तो व्यक्ति गुणवान तथा कीर्तिवान होता है। वो जिस किसी काम को करना चाहता है, उसमें कभी असफल नहीं होता।
जब भाग्येश भ्रात-स्थान अथवा धन-स्थान में हो तो व्यक्ति की चिंता करता रहता है और वो धनवान, गुणी, वक्ता तथा लोकप्रिय होता है।