तृतीय स्थान से आजीविका का भी विचार किया जाता है। लग्न, चन्द्रमा और सूर्य इन तीनों ग्रहों में से जो अधिक बलवान् हो, उससे दसवें स्थान के नवांशाधिपति के स्वरूप, गुण, धर्मानुसार आजीविका ज्ञात करनी चाहिए।
Author Archives: Rajkumar Jain
उच्च ग्रह का शुभ प्रभाव हो सकता है कम, ध्यान रखे ये बाते
मन्त्र-व्याकरण में मन्त्र-समुदाय के दो प्रकार दिखाये गये हैं- आग्नेय मन्त्र और सौम्य मन्त्र। इनमें जो मन्त्र पृथ्वी, अग्नि और आकाश तत्व से युक्त होते हैं वे ‘आग्नेय’ कहलाते हैं तथा जल और वायु तत्त्व से युक्त होते हैं वे ‘सौम्य’ कहलाते हैं।
ताँबा की अंगूठी रविवार के दिन प्रातः काल गाय के दुग्ध व घृत में डुबोकर मंत्र जाप करता हुआ धारण करने से रवि ग्रह दोष निवारण होता है।
मधुमक्खी का छता, कुकुरमुता, खरगोश गृह में प्रवेश करने का अपशकुन होने से छह मास तक दोष रहता है। गृहशुद्धि करके शांति विधान अवश्य कर लेना चाहिए।
प्राकृतिक रूप से चार प्रमुख दिशाएं, चार विदिशाएं तथा ऊध्र्व एवं अधी, इस प्रकार दश दिशाएं वास्तु शास्त्र में मानी जाती हैं। प्रत्येक दिशा का अपना-अपना महत्व एवं गुणधर्म निम्नानुसार हैं।
बिना दरवाजा लगा, बिना छतवाला, बिना देवताओं को बलि (नैवेद्य) तथा ब्राह्मण-भोजन कराये हुए घर में गृहप्रवेश नहीं करना चाहिये, क्योंकि ऐसा घर विपत्तियोंका घर होता है।
जीवन में हम जो स्वप्न देखते है वो कई प्रकार के होते है जैसे अतृप्त इच्छाओं का स्वप्न दर्शन, आदेशात्मक स्वप्न, भविष्यसूचक स्वप्न
न तो जीव सुप्त अवस्था में स्वप्न देखता है, न जागृत अवस्था में। किन्तु कुछ सुप्त और कुछ जागृत अर्थात् अर्धनिद्रित अवस्था में स्वप्न देखता है।
दीर्घायु व स्वस्थ जीवन के लिए प्रातः कम से कम 5 मिनट तक लगातार तेज दौड़ना या चलना तथा कम से कम 15 मिनट नियमित योगासन करने चाहिए।