उच्च ग्रह का शुभ प्रभाव हो सकता है कम, ध्यान रखे ये बाते
कुण्डली में जातक का बृहस्पति (गुरु) उच्च हो किन्तु यदि जातक अपने पिता, गुरु, दादा, ब्राह्मण आदि का अपमान करता हो तो उच्च बृहस्पति (गुरु) होकर भी अपना शुभ प्रभाव नहीं देता।
कुण्डली में शनि उच्च हो किन्तु जातक (व्यक्ति जिसकी कुण्डली हो) शराब, मांस, मछली आदि का सेवन करता हो तथा अपने चाचा, ताऊ आदि का अपमान करता हो तो शनि अपना शुभ प्रभाव नहीं देता।
जातक की कुण्डली में चन्द्र उच्च हो किन्तु उसके द्वारा माता का अपमान होता हो तो चन्द्र उसको शुभ प्रभाव नहीं देता।
कुण्डली में बुध उच्च हो किन्तु जातक द्वारा बहन, बुआ आदि का अपमान होता हो अर्थात् जातक अपनी बहन और बुआ का अपमान करता हो तो बुध उच्च होते हुए भी शुभ प्रभाव नहीं देता।
शुक्र उच्च हो और जातक अपनी स्त्री का अपमान करता हो तो जातक को शुक्र अपना शुभ प्रभाव नहीं प्रदान करता ।
जिस जातक की जन्म कुण्डली में मंगल उच्च हो किन्तु जातक अपने मित्र, गुरु, रिश्तेदार आदि के साथ विश्वासघात करता हो तो जातक के लिए मंगल शुभत्व नहीं देता।
Rajkumar Jain
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