Author Archives: Rajkumar Jain

धनुलग्न में रत्न धारण

धनुलग्न में रत्न धारण

माणिक्य – धनु लग्न में सूर्य नवम (भाग्य) भाव का स्वामी होता है और यहां भी वह लग्नेश का मित्र होता है। अतः धनुलग्न के जातक माणिक्य रत्न भाग्योन्नति, आत्मोन्नति तथा पितृ सुख के लिए आवश्यकतानुसार धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में माणिक्य रत्न विशेष रूप से लाभदायक होगा।

कर्क लग्न में गुरु सप्तम भाव में

कर्क लग्न में गुरु सप्तम भाव में

यहां भाग्येश गुरु केन्द्र में मकर राशि (नीच) गत होते हुए भी शुभ फल देगा। भाग्येश, भाग्य स्थान से ग्यारहवां होने से जातक को पिता की सम्पत्ति, कुल व प्रतिष्ठा का लाभ
मिलेगा। गुरु की दृष्टि एकादश भाव पर होने के कारण जातक को अपने धंधे-व्यापार में उत्तम लाभ मिलेगा।

हाथ की पांचों उंगलियों के दबाने के लाभ

हाथ की पांचों उंगलियों के दबाने के लाभ

हमारे हाथ की पांचो उंगलिया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है। इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली तरीके का इस्तेमाल करना चाहिए।

कर्क लग्न और आयुष्य योग

कर्क-लग्न-और-आयुष्य-योग

कर्क लग्न के लिए सूर्य मारकेश होकर भी मारक नहीं है। शुक्र सहायक मारकेश का काम करेगा। शनि एवं बुध परम पापी व अशुभ हैं। आयुध्य प्रदाता ग्रह चन्द्र है।

चन्द्रमा की महादशा – अन्तर्दशा का फल

चन्द्रमा की महादशा - अन्तर्दशा का फल

जब चन्द्रमा की महादशा अन्तर्दशा हो तो कन्या-सन्तति की प्राप्ति हो, उज्वल वस्त्र मिलें, उत्तम ब्राह्मणों का समागम हो, माता की प्रसन्नता की बात हो और जातक को अपनी स्त्री का सुख हो।

सूर्य की बारह राशियों में स्थिति का फल

सूर्य की बारह राशियों में स्थिति का फल

सूर्य मेष राशि में होने से जातक गौर वर्ण, बुद्धिमान, शूर, चतुर, यात्रा करने में रुचि लेने वाला, ठाठबाट वाला, उदार, अपने परिश्रम से अधिकार प्राप्त करने वाला, प्रसिद्ध एवं ख्यातिवान होता है।

सर्व ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त मंत्र

सर्व ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त मंत्र

सर्व सिद्धियां प्राप्त मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जाप करने से स्त्री संबन्धी समस्त कठिन रोगों का नाश होता है और सर्व सिद्धियां प्राप्त होती हैं।