दो ग्रह की युति
१. सूर्य और चन्द्र एकत्र होने से व्यक्ति कुशल, कुयोजनावादी तथा तकनीकज्ञ बनता है।
२. सूर्य और मंगल का योग पुरुषत्व, कर्मठ स्वभाव, प्रगल्भता, साहसिकता तथा तुनुका मिजाजी की पूर्वसूचना है।
३. सूर्य और बुध का संयोग व्यक्ति को सर्वप्रिय, मृदुभाषी, विज्ञान-सम्मत विचारक, सहायक तथा समृद्ध बनाता है।
४. सूर्य और शुक्र का संगम संगीतात्मक-बुद्धि एवं विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करता है।
५. सूर्य-शनि व्यापारिक स्वभाव, कट्टर आस्था, समृद्धि, प्राचुर्य तथा प्रतिभा को ढूंढ निकालने में अचूक दृष्टि के द्योतक हैं।
६. चन्द्र-मंगल योग व्यक्ति को चालाक, बहादुर और (अपने माता-पिता के साथ भी) झगड़ालू बनाता है।
७. चन्द्र-बुध व्यक्ति को हृदयग्राही वक्ता, आकर्षक, दयातु और शीलयुक्त बनाते हैं।
८. चन्द्र-गुरु व्यक्ति को महान् योजनाकार, शिक्षित, धर्मप्रिय, अथक परिश्रमी कार्यकर्ता बनाता है।
९. चन्द्र-शनि का एक स्थान पर होना शिथिलता, और एक विनम्र दार्शनिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
१०. मंगल-बुध का सहयोग व्यापारिक लाभ, औषधीय अंतर्द्रष्टि, और स्त्रियों के प्रति अत्यधिक लालसा उत्पन्न करता है।
११. मंगल-गुरु का योग व्यक्ति को गूढ़-अन्तर्दृष्टि, सम्मान और बुद्धि प्रदान करता है।
१२. मंगल-शुक्र की मित्रता कामुक-प्रकृति, सट्टेबाजी के सौदों में रुचि, घमण्ड तथा विरोधियों के साथ मेल करने की तत्परता की द्योतक है।
१३. मंगल-शनि का साथ-साथ होना व्यक्ति को झगड़ालू, असुखद और अशास्त्रीय साधनों से धन कमाने वाले बनाता है।
१४. बुध- गुरु का योग व्यक्ति को कृपालु, सन्तोषी, नियमपालनकर्ता और संगीत का पारखी बनाता है।
१५. बुध-शुक्र की एकता से व्यक्ति बड़ा बातूनी, आश्रयदाता, संवर्धक, विचारशील और निपुण बनता है।
१६. बुध-शनि का साहचर्य मनुष्य को अशान्ति और कलहप्रियता की ओर प्रेरित करता है।
२०. गुरु-शुक्र का जोड़ा सभी प्रकार की समृद्धि और प्रतिभात्मक श्रेष्ठता का प्रतीक है।
२१. गुरु-शनि व्यक्ति को वीर, खाता-पीता, सफल और अत्यधिक सम्मानित बनाता है।
२२. शुक्र-शनि शारीरिक-शक्ति तथा ललितकलाओं में अभिरुचि उत्पन्न करते हैं।
२. सूर्य और मंगल का योग पुरुषत्व, कर्मठ स्वभाव, प्रगल्भता, साहसिकता तथा तुनुका मिजाजी की पूर्वसूचना है।
३. सूर्य और बुध का संयोग व्यक्ति को सर्वप्रिय, मृदुभाषी, विज्ञान-सम्मत विचारक, सहायक तथा समृद्ध बनाता है।
४. सूर्य और शुक्र का संगम संगीतात्मक-बुद्धि एवं विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करता है।
५. सूर्य-शनि व्यापारिक स्वभाव, कट्टर आस्था, समृद्धि, प्राचुर्य तथा प्रतिभा को ढूंढ निकालने में अचूक दृष्टि के द्योतक हैं।
६. चन्द्र-मंगल योग व्यक्ति को चालाक, बहादुर और (अपने माता-पिता के साथ भी) झगड़ालू बनाता है।
७. चन्द्र-बुध व्यक्ति को हृदयग्राही वक्ता, आकर्षक, दयातु और शीलयुक्त बनाते हैं।
८. चन्द्र-गुरु व्यक्ति को महान् योजनाकार, शिक्षित, धर्मप्रिय, अथक परिश्रमी कार्यकर्ता बनाता है।
९. चन्द्र-शनि का एक स्थान पर होना शिथिलता, और एक विनम्र दार्शनिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
१०. मंगल-बुध का सहयोग व्यापारिक लाभ, औषधीय अंतर्द्रष्टि, और स्त्रियों के प्रति अत्यधिक लालसा उत्पन्न करता है।
११. मंगल-गुरु का योग व्यक्ति को गूढ़-अन्तर्दृष्टि, सम्मान और बुद्धि प्रदान करता है।
१२. मंगल-शुक्र की मित्रता कामुक-प्रकृति, सट्टेबाजी के सौदों में रुचि, घमण्ड तथा विरोधियों के साथ मेल करने की तत्परता की द्योतक है।
१३. मंगल-शनि का साथ-साथ होना व्यक्ति को झगड़ालू, असुखद और अशास्त्रीय साधनों से धन कमाने वाले बनाता है।
१४. बुध- गुरु का योग व्यक्ति को कृपालु, सन्तोषी, नियमपालनकर्ता और संगीत का पारखी बनाता है।
१५. बुध-शुक्र की एकता से व्यक्ति बड़ा बातूनी, आश्रयदाता, संवर्धक, विचारशील और निपुण बनता है।
१६. बुध-शनि का साहचर्य मनुष्य को अशान्ति और कलहप्रियता की ओर प्रेरित करता है।
२०. गुरु-शुक्र का जोड़ा सभी प्रकार की समृद्धि और प्रतिभात्मक श्रेष्ठता का प्रतीक है।
२१. गुरु-शनि व्यक्ति को वीर, खाता-पीता, सफल और अत्यधिक सम्मानित बनाता है।
२२. शुक्र-शनि शारीरिक-शक्ति तथा ललितकलाओं में अभिरुचि उत्पन्न करते हैं।
तीन ग्रह की युति
१. सूर्य, चन्द्र, मंगल – साहसी, पापी, तकनीकी, संगीतात्मक सहज-बुद्धि।
२. सूर्य, चन्द्र, बुध – निडर, देदीप्यमान, कूटनीतिज्ञ।
३. सूर्य, चन्द्र, गुरु – सद्-मनोवृत्ति, शीघ्र रुष्ट होना, करुणा दिखाना, यात्रा करना।
४. सूर्य, चन्द्र, शुक्र – वैज्ञानिक, दूसरों के धन की चाहना करना।
५. सूर्य, चन्द्र, शनि – झगड़ालू, रुपये-पैसों का अभाव, निर्भर।
६. सूर्य, मंगल, बुध – साहसिक कार्य करने वाला, पहलवान, कठोर हृदय, न्यून वेतनभोगी।
७. सूर्य, मंगल, गुरु – वक्ता, सत्यनिष्ठ, राज्य-मरामर्शदाता।
८. सूर्य, मंगल, शुक्र – भाग्यशाली, अच्छे पितृवंशज, नेत्र-रोगी।
९. सूर्य, मंगल, शनि – अस्वस्थ, जरूरतमन्द, विचारहीन।
१०. सूर्य, बुध, गुरु – धनी, कवि, बुद्धिमान और पीड़ित नेत्र वाला।
११. सूर्य, बुध, शुक्र – यात्रा करने वाला, वार्तारसिक, दाम्पत्य जीवन से असुखी।
१२. सूर्य, बुध, शनि – भाग्यहीन, अभिमान-च्युत, परित्यक्त।
१३. सूर्य, गुरु, शुक्र – राज्य-परामर्शदाता, वीर, बुद्धिमान, जरूरतमन्द।
१४. सूर्य, गुरु, शनि – सम्मानित, अपने ही लोगों द्वारा परित्यक्त, निडर।
१५. सूर्य, शुक्र, शनि – अशिष्ट व्यवहार करने वाला, हाथ-पाँव से झुका हुआ और शत्रुओं से भयभीत होने वाला।
१६. चन्द्र, मंगल, बुध – नीच, कमीना, मित्रहीन।
१७. चन्द्र, मंगल, शुक्र – माता और पत्नी से बहुत सुखी नहीं, यात्राप्रिय।
१८. चन्द्र, मंगल, शनि – माता का शीघ्र स्वर्गवास, स्वच्छन्द, अप्रिय, सन्तप्त।
१९. चन्द्र, बुध, गुरु – समृद्ध, सुविख्यात, सुखी।
२०. चन्द्र, बुध, शुक्र – सुशिक्षित, कमीना, विनम्र, लोभी।
२१. चन्द्र, बुध, शनि – बूद्धिमान, सम्मानित, स्वतन्त्र विचारवान, अशान्त।
२२. चन्द्र, गुरु, शुक्र – बुद्धिमान, कलाओं में निपुण, सुविज्ञ, सुशिष्ट, अच्छी प्रकृतिवाली माता से उत्पन्न।
२३. चन्द्र, गुरु, शनि – वैज्ञानिक, स्वस्थ, समुदाय का नेता।
२४. चन्द्र, शुक्र, शनि – लेखक, भाग्यवान्।
२५. मंगल, बुध, गुरु – कवि, धनवान्, सद्-प्रकृति पत्नी।
२६. मंगल, बुध, शुक्र – बेडौल शारीरिक-संरचना, कठोर-हृदय, उत्साही।
२७. मंगल, बुध, शनि – विनम्र, यात्रा, चेहरे के रोग।
२८. मंगल, गुरु, शुक्र – राज्य द्वारा सम्मानित, सुशिक्षित सन्तति, घरेलू सुख, जनता को सुखी रखना।
२९. मंगल, गुरु, शनि – हृदयहीन, नीच-क्षुद, जनता द्वारा घृणित।
३०. मंगल, शुक्र, शनि – भाग्यहीन, प्रवासी।
३१. बुध, गुरु, शुक्र – भाग्यशाली, सुयशवान्, सुशिष्ट, सु-सन्ततियुक्त।
३२. बुध, गुरु, शनि – धनवान एवं समृद्ध, बुद्धिमान्, विरक्तिमय।
३३. बुध, शुक्र, शनि – चतुर, असत्यवादी, प्रतिभा सम्पन्न, देश भक्तिपूर्ण।
३४. गुरु, शुक्र, शनि-प्रसिद्ध, धन-सम्पन्न, सुशिष्ट।
२. सूर्य, चन्द्र, बुध – निडर, देदीप्यमान, कूटनीतिज्ञ।
३. सूर्य, चन्द्र, गुरु – सद्-मनोवृत्ति, शीघ्र रुष्ट होना, करुणा दिखाना, यात्रा करना।
४. सूर्य, चन्द्र, शुक्र – वैज्ञानिक, दूसरों के धन की चाहना करना।
५. सूर्य, चन्द्र, शनि – झगड़ालू, रुपये-पैसों का अभाव, निर्भर।
६. सूर्य, मंगल, बुध – साहसिक कार्य करने वाला, पहलवान, कठोर हृदय, न्यून वेतनभोगी।
७. सूर्य, मंगल, गुरु – वक्ता, सत्यनिष्ठ, राज्य-मरामर्शदाता।
८. सूर्य, मंगल, शुक्र – भाग्यशाली, अच्छे पितृवंशज, नेत्र-रोगी।
९. सूर्य, मंगल, शनि – अस्वस्थ, जरूरतमन्द, विचारहीन।
१०. सूर्य, बुध, गुरु – धनी, कवि, बुद्धिमान और पीड़ित नेत्र वाला।
११. सूर्य, बुध, शुक्र – यात्रा करने वाला, वार्तारसिक, दाम्पत्य जीवन से असुखी।
१२. सूर्य, बुध, शनि – भाग्यहीन, अभिमान-च्युत, परित्यक्त।
१३. सूर्य, गुरु, शुक्र – राज्य-परामर्शदाता, वीर, बुद्धिमान, जरूरतमन्द।
१४. सूर्य, गुरु, शनि – सम्मानित, अपने ही लोगों द्वारा परित्यक्त, निडर।
१५. सूर्य, शुक्र, शनि – अशिष्ट व्यवहार करने वाला, हाथ-पाँव से झुका हुआ और शत्रुओं से भयभीत होने वाला।
१६. चन्द्र, मंगल, बुध – नीच, कमीना, मित्रहीन।
१७. चन्द्र, मंगल, शुक्र – माता और पत्नी से बहुत सुखी नहीं, यात्राप्रिय।
१८. चन्द्र, मंगल, शनि – माता का शीघ्र स्वर्गवास, स्वच्छन्द, अप्रिय, सन्तप्त।
१९. चन्द्र, बुध, गुरु – समृद्ध, सुविख्यात, सुखी।
२०. चन्द्र, बुध, शुक्र – सुशिक्षित, कमीना, विनम्र, लोभी।
२१. चन्द्र, बुध, शनि – बूद्धिमान, सम्मानित, स्वतन्त्र विचारवान, अशान्त।
२२. चन्द्र, गुरु, शुक्र – बुद्धिमान, कलाओं में निपुण, सुविज्ञ, सुशिष्ट, अच्छी प्रकृतिवाली माता से उत्पन्न।
२३. चन्द्र, गुरु, शनि – वैज्ञानिक, स्वस्थ, समुदाय का नेता।
२४. चन्द्र, शुक्र, शनि – लेखक, भाग्यवान्।
२५. मंगल, बुध, गुरु – कवि, धनवान्, सद्-प्रकृति पत्नी।
२६. मंगल, बुध, शुक्र – बेडौल शारीरिक-संरचना, कठोर-हृदय, उत्साही।
२७. मंगल, बुध, शनि – विनम्र, यात्रा, चेहरे के रोग।
२८. मंगल, गुरु, शुक्र – राज्य द्वारा सम्मानित, सुशिक्षित सन्तति, घरेलू सुख, जनता को सुखी रखना।
२९. मंगल, गुरु, शनि – हृदयहीन, नीच-क्षुद, जनता द्वारा घृणित।
३०. मंगल, शुक्र, शनि – भाग्यहीन, प्रवासी।
३१. बुध, गुरु, शुक्र – भाग्यशाली, सुयशवान्, सुशिष्ट, सु-सन्ततियुक्त।
३२. बुध, गुरु, शनि – धनवान एवं समृद्ध, बुद्धिमान्, विरक्तिमय।
३३. बुध, शुक्र, शनि – चतुर, असत्यवादी, प्रतिभा सम्पन्न, देश भक्तिपूर्ण।
३४. गुरु, शुक्र, शनि-प्रसिद्ध, धन-सम्पन्न, सुशिष्ट।