शनि अनिष्ट निवारक नीलम रत्न
शनि की अशुभता निवारण करने वाला रत्न नीलम है। नीलम रत्न धारण करने से शनि की अशुभता कम हो सकती है अथवा बिल्कुल भी समाप्त हो सकती है किन्तु इस रत्न को यूं ही धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि किसी-किसी को यह उल्टा प्रभावित भी करता है। अतः सर्वप्रथम इसका परीक्षण कर लें। रत्न धारण करने से पूर्व शनिवार के दिन “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करते हुए विधिवत् धूप दीप आदि दिखाकर पूजित करें तत्वश्चात काले वस्त्र में लपेटकर शनिवार की रात्रि को 24 घंटे के लिए दाहिने हाथ (Right Hand)के बाजू में धारण करें। रात्रि को स्वप्न में अथवा 24 घंटे के अन्दर कोई शुभ समाचार प्राप्त हो तो नीलम रत्न को अपने लिए शुभ माने। उसके बाद रत्न को सोने की अंगूठी में जड़वाकर शनिवार को दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली (Middle Finger) में धारण करें। सामान्यतः नीलम रत्न सवा पांच रत्ती से कम नहीं होना चाहिए अथवा किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह लेकर धारण करें।
नीलम किसके लिए भाग्यकारी होता है ?
- जिन जातकों की कुण्डली में शनि अशुभ स्थान पर विराजित हो अर्थात् जातक को विपरीत फल प्रदान कर रहा हो।
- शनि सूर्य की राशि में विराजमान हो।
- यदि शनि के साथ सूर्य विराजमान हो।
- कुण्डली में शनि प्रधान ग्रह हो।
- जातक पर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो।
- यदि शनि अपने भाव से छठे या आठवें स्थान पर विराजमान हो।
- कुण्डली के चतुर्थ, पंचम, दशमं अथवा एकादश भाव में शनि हो।
ऐसे जातकों के लिए नीलम रत्न धारण करना महान् प्रभावकारी एवम् लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
प्रभाव की अवधि
सामान्यतः नीलम रत्न का जातक पर 5 वर्ष तक प्रभाव रहता है पांच वर्ष के पश्चात् प्रभावकारी क्षमता निष्क्रिय हो जाती है अतः पांच वर्ष के पश्चात् इसे बेचकर नया नीलम धारण करना चाहिए।