प्रथम भाव में शनि के साथ सूर्य का योग होने पर धन की कमी, पारिवारिक कलह, संचित सम्पत्ति का नष्ट होना, उन्माद, अकर्मण्यता, रोग-व्याधि आदि का प्रभाव रहता है।
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प्रथम भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक रजोगुणी, नेत्ररोगी, सामान्य धनी, साधुसेवी, मन्त्रज्ञ, वेदान्ती, पितृभक्त, राजमान्य और चिकित्सक होता है।
यदि लग्न में सूर्य हो तो जातक शूरवीर, रण निर्भय, कठोर हृदय होता है। दूसरे व्यक्ति उसे विचलित नही कर सकते । यह सामान्य फल है।
पीले शीशे की बन्द बोतल में शुद्ध पानी भरकर धूप में रखें और इस पानी को सोते समय दो चम्मच पियें। निर्बल सूर्य को सबलता प्राप्त होगी।
सूर्य की महादशा अन्तर्दशा में राजा से अधिक यश मिले, धनागम हो, ज्वर और उष्णता के रोग हों, पिता के वियोग का भय हो। सूर्य अच्छा हो तो अच्छा फल लीजिये । सूर्य दुर्बल या दुःस्थान में हो तो अनिष्ट फल लीजिये।
सूर्य मेष राशि में होने से जातक गौर वर्ण, बुद्धिमान, शूर, चतुर, यात्रा करने में रुचि लेने वाला, ठाठबाट वाला, उदार, अपने परिश्रम से अधिकार प्राप्त करने वाला, प्रसिद्ध एवं ख्यातिवान होता है।