शुभ स्वप्न फल कथन | Shubh Swapna Fal Kathan

Swapna-fal-kathan

शुभ स्वप्न फल | Shubh Swapna Fal


बन्धनेऽथ वरस्थाने मोक्षे प्रयाण के ध्रुवम्।
सौर भेये सितेदृष्टे यशो लाभो निरन्तरम्।। 

स्वप्न में (सौर भेयेसिते दृष्टे) सफेद गाय देखी जावे जो (बन्धनेऽथ वरस्थाने) बंधी हुइ हो श्रेष्ठ स्थान पर हो (मोक्षे) खुली हुई हो (प्रयाण के धूवम्) प्रयाण करती हुई हो तो निश्चय से (यशोलाभं निरन्तरम्) उसको यश का लाभ होता है।

भावार्थ-जो स्वप्न में सफेद गाय को बंधी हुई देखे श्रेष्ठ स्थान पर देखे, खुली हुई देखे गमन करती हुई देखे, तो निश्चय से यश की प्राप्ति होती है।

नदीवृक्ष सरोभूभृत् गृह कुम्भान् मनोहरान् ।
स्वप्ने पश्यति शोकार्तः सोऽपि शोकेन् मुच्यते।। 

(शोकार्तः) शोक से पीड़ित (स्वप्ने) स्वप्न में (नदी, वृक्ष, सरोभूभृतः) नदी, वृक्ष सरोवर पर्वत (गृहकुम्भान मनोहरान्) गृह मनोहर कुम्भ (पश्यति) देखता है तो (सोऽपि शोकेनमुच्यते) वह भी शोक से छूट जाता है।

भावार्थ-शोक से पीड़ित व्यक्ति यदि स्वप्न में नदी, वृक्ष, सरोवर पर्वत घर मनोहर कलश देखता है तो वह भी शोक से छूट जाता है।

शयनाशनजं पानं गृहं वस्त्रं स भूषणम्।
सालङ्कारं द्विपं वाहं पश्यन् शर्मकदम्बभाक्।।

जो स्वप्न में (शयनाशन जंपानं) शयन, आसन्, पान, (गृहवस्त्रसभूषणम्) गृह वस्त्र और भूषण (सालङ्कारं द्विपं वाहं पश्यन्) अलंकार, हाथी, वाहन (पश्यन्) देखता है। (शर्मकदम्बभाक्) तो उसे सुख मिलता है।

भावार्थ – जो स्वप्न में शयन, आसन, पान गृह वस्त्र आभूषण अलंकार हाथी वाहन देखता है उसे सभी प्रकार सुख मिलता है।

पताकामसियष्टिं च पुष्प माला सशक्तिकाम्।
काञ्चनं दीप संयुक्तं लात्वा बुद्धो धनं भजेत्।।

यदि स्वप्न में (पताका मसियष्टिं च) ध्वजा, तलवार, लकड़ी और (पुष्प मालां) पुष्प माला (सशक्तीकाम्) शक्ति देखे वा (काञ्चनंदीप संयुक्तं) सोने के दीप में (लात्वा) लाकर देखे तो (बुद्धो धनं भजेत्) बुद्धिमान धन को प्राप्त करता है।

भावार्थ-यदि स्वप्न में ध्वजा तलवार लकड़ी और पुष्पमाला को देखे एवं सोने के दीप से देखे तो धन की प्राप्ति होती है।

वृश्चिकंदन्दशूकं वा कीटकं वा भयप्रदम्। 
निर्भयं लभते यस्तु धन लाभो भविष्यति।।

जो स्वप्न में (वृश्चिकं दन्द सूकंवा) बिच्छु सांप वा (कीटकं वा भय प्रदम्) अन्य भयप्रद कीडों को (यस्तु) जो (निर्भयं) निर्भय होकर (लभते) प्राप्त करे उसे (धनलाभो भविष्यति) धन का लाभ प्राप्त होता है।

भावार्थ – जो स्वप्न में बिच्छु सांप वा अन्य भय उत्पन्न करने वाले कीड़ों को निर्भय होकर प्राप्त करे उसे धन का लाभ मिलता है।

पुरीषं छर्दितं मूत्रं रक्तं रेतो वसान्वितम्।
भक्षयेत् घृणया हीनस्तस्य शोक विमोचनम्।।

जो स्वप्न में (पुरीषंछर्दितं मूत्र) मल, उल्टी, मूत्र (रक्तं रेतों वसान्वितम्) रक्त चर्बी, वसा को (घृणया हीन: भक्षयेत्) घृणा से रहित होकर खाता हुआ देखे (तस्य) उसका (शोक विमोचनम्) शोक नष्ट हो जायगा।

भावार्थ – जो कोई स्वप्न में मल, मूत्र, रक्त, वीर्य और चर्बी को घृणा से रहित होकर खावे तो उसका शोक छूट जाता है।

वृषकुञ्चर प्रासाद क्षीर वृक्षशिलोच्चये।
अश्वारोहणं शुभस्थाने दृष्टमुन्नति कारणम्।।

जो व्यक्ति स्वप्न में (वृष कुञ्जर प्रासाद) बैल, हाथी, महल, (क्षीर वृक्षशिलोच्चये) पीपल, बड़, पर्वत एवं (अश्वारोह शुभ स्थाने) घोड़े की सवारी, शुभस्थान में (दृष्टं) देखे तो (उन्नतिकारणम्) उन्नति का कारण होगा ऐसा समझो।

भावार्थ – जो व्यक्ति स्वप्न में बैल, हाथी, महल, पीपल बड़ पर्वत एवं घोड़े की सवारी देखे तो उन्नति का कारण होगा ऐसा समझो।

भूपकुञ्जरगोवाह धन लक्ष्मी मनोभुवाः।
भूषितानामलङ्करै दर्शनं विधिकारणम् ।।

जो स्वप्न में (भूपकुञ्जरगोवाह) राजा, हाथी, गाय, सवारी, (धनलक्ष्मी मनोभुवी:) धन लक्ष्मी, कामदेव, (भूमितानामलङ्करै) अलंकार आभूषण का (दर्शन) दर्शन करे (विधिकारणम्) तो उसके भाग्य की वृद्धि होती है।

भावार्थ – जो स्वप्न में राजा, हाथी, गाय, सवारी, धन, लक्ष्मी कामदेव अलंकार आभूषण का दर्शन करे तो उसके भाग्य की वृद्धि होती है।

पयोधिं तरति स्वप्ने भुङक्तेप्रासाद मस्तके।
देवतो लभते मन्त्रं तस्य वैश्चर्यमद्भुतम्।।

(स्वप्ने) स्वप्न में जो व्यक्ति (पयोधिरतति) समुद्र को पार करता हुआ देखे (भुङक्ते प्रासाद मस्तके) महल के ऊपर खाता हुआ देखे (दैवत: लभते मन्त्र) वा किसी देवता के द्वारा मंत्र पार करता हुआ देखे (तस्य वैश्वर्यमद्भुतम्) तो उसको अद्भूत ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

भावार्थ – जो स्वप्न में समुद्र को पार करता हुआ देखे, महल के ऊपर खाता हुआ देखे वा किसी भी देवता के द्वारा मंत्र प्राप्त करता हुआ देखे तो उसको महान ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

Home » Blog » शुभ स्वप्न फल कथन | Shubh Swapna Fal Kathan