शनि की साढ़ेसाती | Shani Sadesati
शनि गोचर में परभ्रिमण करता हुआ जन्मराशि से बारहवें भाव में आता है तब वह वहां पर ढाई वर्ष तक निवास करता है बाद में वह जन्मराशि में ढ़ाई वर्ष रहता है और पुनः जन्म राशि से दूसरे भाव में ढाई वर्ष की अवधि तक रहता है। इस तरह तीनों भावों में ढ़ाई ढ़ाई वर्ष रहता है। ढ़ाई वर्ष ढाई वर्ष तीन भावों का योग साढ़े सात वर्ष बनता है। यही शनि की साढ़े साती है।
शनि के साढ़ेसाती की स्थितियां
कब और किन स्थितियों में जातक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव होता है। जातक की जन्म कुण्डली देखकर कैसे ज्ञात करें कि जातक पर शनि की साढ़ेसाती प्रभावी है अथवा नहीं। यदि जातक की जन्म राशि से द्वादश, प्रथम एवम् द्वितीय भाव में गोचर वश जब शनि आता है उस समय शनि की साढ़े साती होती है।
जन्म राशि पर शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव का समय
- गोचरवश शनि जब मीन, मेष और वृष राशि पर रहता है तब मेष राशि वालों पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है।
- मेष, वृष और मिथुन राशि पर शनि गोचरवश हो तो वृष राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
- वृष, मिथुन एवम् कर्क राशि पर शनि जब गोचरवश रहता है तब मिथुन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है।
- मिथुन, कर्क और सिंह राशि पर जब शनि गोचर वश हो तो कर्क राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती रहती है।
- गोचरवश शनि जब कर्क, सिंह और कन्या राशि पर रहता है तब सिंह राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
- सिंह, कन्या और तुला राशि पर शनि गोचरवश हो तो कन्या राशि वाले जातकों को साढ़ेसाती के प्रभाव में जाने।
- जब कन्या, तुला और वृश्चिक राशि पर शनि गोचर वश रहता है तब तुला राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
- शनि गोचर वश तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर रहता है तब वृश्चिक राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
- वृश्चिक, धनु तथा मकर राशि पर शनि जब गोचर वश परिभ्रमण करता है तब धनु राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
- जब मकर, कुम्भ और मीन राशि पर शनि गोचर वश भ्रमण करता है। तब कुम्भ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती होती है।
- कुम्भ, मीन और मेष राशि पर जब शनि भ्रमण करता है तब मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती जाने।
शनि जन्म राशि के अनुसार उत्पन्न जातकों पर साढ़ेसाती का विशेष घातक समय
जन्म राशी | घातक समय |
मेष | मध्य भाग घातक |
वृष | प्रारम्भ घातक |
मिथुन | मध्य घातक |
कर्क | मध्य और अन्त घातक |
सिंह | प्रारम्भ एवम् मध्य घातक |
कन्या | प्रारम्भ घातक |
तुला | अन्त घातक |
वृश्चिक | मध्य एवम् अन्त घातक |
धनु | आरम्भ एवम् मध्य घातक |
मकर | मध्य घातक |
कुम्भ | पूर्ण रुपेण शुभ |
मीन | अन्त घातक |