राहु का दृष्टि फल

राहु का दृष्टि फल

राहु का दृष्टि फल

 

लग्नभाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो शारीरिक रोगी, वातविकारी उग्र स्वभाववाला, खिन्न चित्तवाल्ला, उद्योगरहित और अधार्मिक

दूसरे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो कुटुम्ब-सुखहीन, धननाशक, पत्थर की चोट से दुखी होनेवाला और चंचल प्रकृति 

तीसरे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो पराक्रमी, पुरुषार्थी और पुत्र सन्तान-रहित; 

चौथे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो उदररोगी, मलीन और साधारण सुखी; 

पाँचवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो भाग्यशाली, धनी, व्यवहारकुशल और सन्तानसुखी; 

छठे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो शत्रुनाशक, वीर, गुदा स्थान में फोडो के दुख से पीड़ित, व्ययशील, नेत्र पर खरोंच के निशानवाला, पराक्रमी और बलवान्;

सातवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धनी, विषयी, कामी और नीच-संगतिप्रिय; 

आठवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो पराधीन, धननाशक कण्ठरोग से पीड़ित, धर्महीन, और कुटुम्ब से पृथक् रहनेवाला; 

नवे भाव को पूर्ण राहु दृष्टि से देखता हो तो बड़े भाई के सुख से रहित, ऐश्वर्यवान, रोगी, पराक्रमी और सन्ततिवान्। 

दसवें भाव को पूर्ण राहु दृष्टि से देखता हो तो मातृसुखहीन पितृकष्टकारक, राजमान्य और उद्योगशील; 

ग्यारहवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखला हो तो सन्ततिकष्ट से पीड़ित, नीच कर्मरत और अल्पलाभ करानेवाला एवं 

बारहवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो गुप्तरोगी, शत्रुनाशक, कुमार्ग में धन व्यय करनेवाला और दरिद्री होता है।

केतु की दृष्टि का फल राहु के समान है।

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