नींबू (Lemon) के चमत्कारी उपयोग
- नींबू का पतला छिल्का उतार लीजिए। अन्दर की सफेदी छिल्के के साथ न आने पाये। फिर छिल्के और रस को बीजसहित गिलास में रखकर, ठंडा पानी भरकर रात को ओस में रख दीजिये। प्रातःकाल पानी को अच्छी तरह हिलाकर, छानकर पी लीजिए। कब्ज की शिकायत जरूर दूर होगी।
- दो नींबुओं का रस सुबह शौच के बाद, दोपहर को भोजन के बाद, पुनः शाम को पाव भर पानी के साथ पीने से कब्ज दूर होता है।
- गरम पानी में नींबू का रस और इच्छा हो तो थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से कब्ज में बहुत लाभ होता है।
- भोजन के पहले नींबू, अदरख और सेंधा नमक सेवन करें या नींबूरस में केसर घोटकर पियें तो अजीर्ण दूर हो। नींबू के रस में जायफल घिसकर चाटने से भी अजीर्ण में लाभ होता है।
- नींबू और सेंधा नमक को किसी मिट्टी के पात्र में खूब उलट-पलटकर रख दें और उसका मुंह ढककर उसका अचार बनने दें। नींबू गल जाने पर रोज थोड़ा-थोड़ा सेवन करें। इसके सेवन से अजीर्ण नष्ट होकर अग्नि प्रदीप्त होती है।
- कागजी नींबू का रस ३ माशा, चूने का निथरा हुआ पानी २ तोला, अजवाइन पिसी हुई १।। माशा, शहद एक तोला-सबको एक में मिलाकर, दिन में तीन बार सेवन करने से अजीर्ण, उदरशूल, पेट का भारीपन और वमन-विकार शान्त होते हैं। बच्चों के दूध उलटने की व्याधि में भी इस प्रयोग से लाभ होता है।
- नींबू को आड़ा चीरकर, सोंठ और सेंधा नमक मिलाकर, मंदी आग पर गरम करके चूसना चाहिए।
- शुद्ध गन्धक, सेंधा नमक और सोंठ-तीनों चीज समान भाग लेकर, नींबू के रस में खूब घोटकर चने बराबर गोलियाँ बना लें। आवश्यकतानुसार एक या दो गोली सुबह-शाम देने से मंदाग्नि, अजीर्ण और कोष्ठबद्धता दूर होकर अग्नि प्रदीप्त होती है।
नीबू (Lemon) के कुछ विशेष गुणों की कहावतें
अजीर्णता में
नींबू आधा काटिए, सैंधा नमक मिलाय ।
भोजन से प्रथम ही चूसिये, तो अजीर्णता नसाय ॥
मलावरोध में
शयन प्रथम या बाद में, नींबू रस जल में डाल।
जो प्रतिदिन सेवन करे, कब्ज मिटे तत्काल ॥
विशुचिका में
नींबू रस में प्याज को दीजिए खूब मिलाय ।
प्रति घंटे पर सेवन करियो, हैजा जड़ से मिट जाये ||
बच्चों के दूध डालने में
शुद्ध शहद में दीजिए, नींबू रस को डाल ।
बच्चों को चटाइये, उल्टी करें न बाल ॥
मसूड़ों के दर्द में
नींबू रस से कीजिए, मन्जन बारम्बार।
दर्द मसूदों का मिटे, नष्ट होय रक्त विकार ॥
तिल्ली की वृद्धि में
नींबू रस पानी संग में, काला नमक मिलाय।
जो प्रतिदिन सेवन करे तिल्ली रोग जड़ से मिट जाये॥