पंचमेश का फल
जिस व्यक्ति का पंचमेश पंचम स्थाम में हो, उसका पुत्र नहीं जीता है और वह व्यक्ति क्षणिक अर्थात् क्षणमात्र में स्वभाव बदलने वाला, निष्ठुर बोलने वाला, धार्मिक और बुद्धिमान होता है। जब पंचमेश छठे अथवा बारहवें स्थान में स्थित हो तो पुत्र शत्रु के समान होता है या उस व्यक्ति की संतान मर जाती है या वो धर्मपुत्र या क्रीत पुत्र रखता है।
जब पंचमेश सप्तम स्थान में हो तो व्यक्ति अभिमानी और धर्म करने वाला होता है। जब पंचमेश अष्टम अथवा द्वितीय घर में हो तो व्यक्ति के बहुत पुत्र होते हैं। उसे श्वास का रोग होता है तथा वो सुखी, क्रोधी और धनवान होता है।
जिसका पंचमेश नवम या दशम स्थान में हो, उसका पुत्र राजा के समान होता है अथवा ग्रंथकर्ता, प्रख्यात और कुलदीपक होता है।
जब पंचमेश लाभ स्थान में हो तो व्यक्ति पंडितों का प्रिय, ग्रंथकर्ता, अत्यंत चतुर और अनेक पुत्रों वाला, धन से युक्त होता है।
जब पंचमेश लग्न या सहज भाव में हो तो व्यक्ति माया करने वाला और चुगलखोर होता है। वह मिट्टी का एक ढेला भी किसी को नहीं देता, धन देने की तो बात ही क्या है।
यदि पंचमेश चतुर्थ स्थान में हो तो माता का सुख उसे चिरकाल पर्यन्त मिलता है। वह व्यक्ति लक्ष्मीवान, बुद्धिमान, मंत्री अथवा गुरु होता है।