मंगल ग्रह की स्थिति के अनुसार तेजी-मन्दी का हर राशी में अलग अलग विचार होता है। जब मंगल मार्गी होता है, तब रूई मन्दी होती है।
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रोग एवं दुर्घटनाओं में छठा, आठवा एवं बारहवाँ भाव का विशिष्ट महत्त्व दिया जाता है।
रूद्राक्ष की माला से किसी भी देवता का जाप किया जा सकता है। कोई भी इष्ट हो सभी प्रसन्न होते हैं। महादेव होने से अन्य देवता भी इस माला का आदर करते हैं।
माणिक्य धारण करने से विष का प्रभाव नहीं होता। इसके प्रयोग से मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों का उदय होता है तथा विशिष्ट दैविक भावों का उदय होता है।
शुक्र ग्रह के कुपित होने से व्यक्ति को श्लैष्मिक, पीलिया, कामशक्ति, गुप्त यौन रोग हो सकते है। हीरा धारण कर इन रोग से बचा जा सकता है।
शास्त्रों में वर्णित हैं की कार का ही व्यक्त स्वरूप गणेशजी है। इसी कारण शुभ मांगलिक कार्यों में भगवान गणपति कि प्रथम पूजा कि जाती हैं।
भाई का अपमान न करने से, वृद्ध औरतों का सम्मान करने से, सगों का ध्यान रखने से आदि उपाय के द्वारा मंगल ग्रह शान्ति की जा सकती है।
गाय का घी दान करने से, जायदाद न बेचने से, स्त्रियों से प्रेममय व्यवहार, जमानत लेने या शपथ लेने से बचने से आदि उपाय के द्वारा शुक्र ग्रह शान्ति की जा सकती है।
चाँदी के आभूषण, अंगूठी, चाँदी के तारों से मंडित वस्त्र पहनने से, वटवृक्ष की सेवा करने चन्द्र ग्रह की स्थिति को शुभ कर चन्द्र ग्रह शान्ति कि जा सकती है।
गणेश जी की उपासना, बृहस्पति का अनुष्ठान, गाय को भोजन, केसर का तिलक, बकरी का दान आदि उपाय के द्वारा बुध ग्रह शान्ति की जा सकती है।