कछुआ का प्रतीक एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है तथा जीवन में खुशहाली आती है।
Author Archives: Rajkumar Jain
कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र है, जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है और खुशहाली आती है। वास्तु तथा फेंगशुई में स्फटिक निर्मित कछुआ घर में रखना ज्यादा असरकारी माना जाता है।
Tortoise in Vastu Shastra – वास्तु के अनुसार भवन में कछुए को उत्तर दिशा में रखने से धन का लाभ और शत्रुओं का नाश होता है।
मन्त्राक्षरों की बार बार रटना जप (Mantra Jaap) कहलाता है। जप तीन प्रकार से किया जाता है – १. मानस जप २. उपांशु जप ३. वाचिक जप
वशीकरण कर्म को उत्तराभिमुख होकर, आकर्षण कर्म को दक्षिणाभिमुख होकर, स्तंभन कर्म को पूर्वाभिमुख होकर, शान्तिकर्म को पश्चिम की ओर मुख कर, पौष्टिक कर्म को नैऋत्य की ओर मुखकर, मारण कर्म को ईशानाभिमुख होकर, विद्वेषण कर्म को आग्नेय की ओर व उच्चाटन कर्म को वायव्य की ओर मुंह कर साधना करना चाहिए।
‘मं’ का अर्थ निज से संबंध रखने वाली मनोकामना, ‘त्र’ का अर्थ है रक्षा करना, इस प्रकार जो मनोकामना की रक्षा करे वह मंत्र (Mantra) कहलाता है।
मन्त्र शास्त्र में हमारे पूर्वाचार्यों ने मन्त्रों के अनेक भेद बताये हैं, जेसे शान्ति मंत्र , पौष्टिक मंत्र , स्तंभन मंत्र, मोहन मंत्र, उच्चाटन मंत्र, वशीकरण मंत्र, आकर्षण मंत्र, जृंभण मंत्र, विद्वेषण मंत्र, मारण मंत्र
बृहस्पति (गुरु) ग्रह शान्ति के घरेलू टोटके
गुरु की महा दशा में ज्ञानलाभ, धन-अस्त्र-वाहन-लाभ, कण्ठ रोग, गुल्मरोग, प्लीहा रोग आदि फल प्राप्त होते हैं।
जिस किसी की कुण्डली में गुरु यदि अपनी उच्च राशि में स्थित हो, तो उसकी दशा के समय मनुष्य के भाग्य की अभिवृद्धि होती है।