Author Archives: Rajkumar Jain

मंगल की महादशा – अन्तर्दशा का फल

mangal-mahadasha

मंगल की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा में पित्त, उष्णता होने या चोट लगने का भय हो, भाईयों से वियोग हो । जाति के लोगों से, शत्रुओं से, राजा से तथा चोरों से विरोध हो । अग्नि पीड़ा का भय हो ।

भाव पर ग्रहों की दृष्टि

सभी ग्रह सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। अर्थात कोई भी ग्रह कुण्डली के जिस भाव में भी बैठा हो, उससे सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है।

केतु की महादशा – अन्तर्दशा का फल

केतु की महादशा में केतु की अन्तर्दशा में शत्रुओं से कलह हो, मित्रों से विरोध हो. अशुभ वचन सुनने पड़ें, शरीर में बुखार तथा तपिश की बीमारी हो। दूसरे के घर जाना पड़े और धन का नाश हो

तुला लग्न और आयुष्य योग – Tula Lagna

तुला लग्न वालों के लिए मंगल द्वितीयेश होकर भी मारक का कार्य नहीं करेगा। गुरु षष्टेश होने से अशुभ फलदायक है। सूर्य व शुक्र पापी हैं। मंगल साहचार्य से मारक का कार्य करेगा। आयुष्य प्रदाता ग्रह शुक्र है।

बुध की महादशा – अन्तर्दशा का फल | Budh Mahadashafal

बुध की महादशा अन्तर्दशा में जातक धर्म मार्ग पर चले, विद्वानों से समागम हो, जातक की निर्मल बद्धि हो और ब्राह्मणों से धन मिले। विद्या के कारण उत्तम यश प्राप्त हो और सदैव सुख मिले।