तिथियों के अनुसार स्वप्न का फल

शुक्लपक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तिथियों में स्वप्न देखने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है तथा स्वप्न सत्य निकलता है।

तिथियों के अनुसार स्वप्न का फल
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तिथियों के अनुसार स्वप्न का फल 


शुक्लपक्ष की प्रतिपदा - इस तिथि में स्वप्न देखने पर विलम्ब से फल मिलता है।

शुक्लपक्ष की द्वितीया - इस तिथि को स्वप्न देखने पर विपरीत फल होता है। अपने लिए देखने से दूसरों को और दूसरों के लिए देखने से अपने को फल मिलता है।

शुक्लपक्ष की तृतीया - इस तिथि में भी स्वप्न देखने से विपरीत फल मिलता है। पर फलकी प्राप्ति विलम्ब से होती है।

शुक्लपक्ष की चतुर्थी और पंचमी - इन तिथियों में स्वप्न देखने पर दो महीने से लेकर दो वर्ष तक के भीतर फल मिलता है। 

शुक्लपक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी - इन तिथियों में स्वप्न देखने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है तथा स्वप्न सत्य निकलता है।

शुक्लपक्ष की एकादशी और द्वादशी - इन तिथियों में स्वप्न देखने से विलम्ब से फल होता है।

शुक्लपक्ष की प्रयोदशी और चतुर्दशी - इन तिथियों में स्वप्न देखने से स्वप्न का फल नहीं मिलता है तथा स्वप्न मिथ्या होते हैं।

पूर्णिमा - इस तिथि के स्वप्न का फल अवश्य मिलता है। 

कृष्णपक्ष की प्रतिपदा - इन तिथियों को स्वप्न का फल नहीं होता है।

कृष्णपक्ष की द्वितीया - इस तिथि का स्वान फल चिलम्ब से मिलता है। मतान्तर से इसका स्वप्न सार्थक होता है।

कृष्णपक्ष की तृतीया और चतुर्थी - इन विधियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं।

कृष्णपक्ष की पंचमी और षष्ठी - इन तिथियों के स्वप्न दो महीने बाद और तीन वर्ष के भीतर फल देने वाले होते हैं।

कृष्णपक्ष की सप्तमी - इस तिथि का स्वप्न अवश्य शीघ्र ही फल देता है।

कृष्णपक्ष की अष्टमी और नवमी - इन तिथियों के स्वप्न विपरीत फल देने वाले होते हैं।

कृष्णपक्ष की दशमी, एकादशी, द्वादशी और व्रयोदशी - इन तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं।

कृष्णपक्ष की चतुर्दशी - इस तिथि का स्वप्न सत्य होता है। तथा शीघ्र ही फल देता है।

अमावस्या - इस तिथि का स्वप्न मिथ्या होता है।