बुध की महादशा – अन्तर्दशा का फल | Budh Mahadashafal

बुध की महादशा – अन्तर्दशा का फल

  • बुध की महादशा में बुध की अन्तर्दशा का फल : जातक धर्म मार्ग पर चले, विद्वानों से समागम हो, जातक की निर्मल बद्धि हो और ब्राह्मणों से धन मिले। विद्या के कारण उत्तम यश प्राप्त हो और सदैव सुख मिले।
  • बुध की महादशा में केतु की अन्तर्दशा का फल : दूःख, शोक और कलह से मन व्याकुल रहे, जातक का बदन काँपे; शत्रुओं से समागम हो, खत और सवारी नष्ट हो।
  • बुध की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा का फल : देवता, ब्राह्मण और गुरुओं का पूजन हो । दान और धर्म में जातक लगा रहे । वस्त्र और भूषणों की प्राप्ति हो। मित्रों से समागम हो।
  • बुध की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल : सुवर्ण, मूगा, घोड़े और हाथियों सहित मकान की प्राप्ति हो, जातक को खाने, पीने का सुख रहे और राजा से सम्मान प्राप्त हो।
  • बुध की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा का फल : सिर में पीड़ा, कण्ठ में बहत अधिक पीड़ा, नेत्र विकार, कोढ़, दाद आदि की बीमारी का भय होता है । जातक के प्राणों का संशय उपस्थित हो जाता है।
  • बुध की दशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल : अग्नि से भय हो, नेत्र रोग हो, चोरी का भय हो, और जातक सदैव दुःखी रहे। जातक की स्थान हानि हो अर्थात् उसका पद या मकान छूट जावे, वात रोग से भी काट होने की संभावना है । यह सब फल बुध की महादशा में जब मंगल की अन्तर्दशा जाती है तव होते हैं।
  • बुध की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल : मस्तक, नेत्र तथा उदर में पीड़ा हो अपना क्षय हो अर्थात् रोग के कारण जातक का शरीर कमजोर होता चला जाय या जातक के धन का नाश हो। अग्नि, विष और जल से भय हो, जातक की मान हानि हो या जिस पद पर वह कायम  हो उस पद से हटाया जाय।
  • बुध की महादशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा का फल : शत्रुओं का नाश हो, रोग से निवृत्ति हो, धार्मिक बातों में सिद्धि प्राप्त हो और राजा से सम्मान मिले। तपस्या और धर्म की ओर विशेष अभिरुचि हो।
  • बुध की महादशा में शनि की अन्तर्दशा का फल : धर्म और अर्थ का नाश हो, सब कार्यों ने विफलता मिले, वात और कफ के कारण रोग हो।
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