द्वादशेश का फल
जब द्वादशेश छठे अथवा बारहवें स्थान में हो तो व्यक्ति पापी, माता की मृत्यु चाहने वाला, क्रोधी, संतान से दुःखित तथा परस्त्रियों में लम्पट होता है। जिसका द्वादशेश सप्तम स्थान अथवा लग्न में हो, उसको स्त्री का सुख कभी नहीं मिलता। वो व्यक्ति दुर्बल, कफरोगी, धन तथा विद्या से रहित होता है।
जब द्वादशेश धन-स्थान अथवा अष्टम स्थान में हो तो व्यक्ति विष्णु-भक्त, धर्मात्मा, प्रियवादी तथा सब अच्छे गुणों से युक्त होता है।
यदि द्वादशेश भ्रातृ-स्थान अथवा धर्म-स्थान में हो तो व्यक्ति अपने शरीर का पोषण करने वाला, दो विवाह वाला, द्वेषी तथा गुरुद्रोही होता है। यदि दादशेश दशम अथवा लाभ-स्थान में हो तो पिता और पुत्र का सुख नहीं होता है। वस्तुतः रत्नों से कुछ धन की प्राप्ति होती है।