तृतीयेश का फल

तृतीयेश-का-फल

तृतीयेश का फल

जन्मकण्डली में किसी के फल का विचार करने से पहले इस बात को सरल ध्यान में रखना चाहिए कि यदि ग्रह पूर्ण बल वाला हो तो फल भी है और यदि आधे बल वाला ग्रह हो तो आधा फल ही मिलता है। इसी प्रकार यदि चतुर्थांश कम बल वाला हो तो फल भी चतुर्थांश कम मिलता है और यदि चतुर्थांश बल वाला हो तो फल भी चतुर्थांश मिलता है।

जब तृतीयेश तीसरे स्थान में हो तो मनुष्य पराक्रमी, पुत्रो से युक्त, धनवान, अति प्रसन्न और अदभुत सुख का भोग करने वाला होता है।

यदि तृतीयेश कर्म, सुख अथवा पंचम स्थान में हो तो मन सुखी नहीं रहता। उसकी स्त्री बड़ी क्रूर स्वभाव वाली होती है और धनाड्य तथा बुद्धिमान होता है।

ततीयेश छठे या चौथे स्थान में हो तो व्यक्ति अपने भाई का शत्रु और बड़ा धनवान होता है। मामा का सुख उसे कभी नहीं मिलता और मातुली से वो भोग करने की इच्छा रखता है। तृतीयेश नवें, बारहवें स्थान में हो तो स्त्रियों के द्वारा व्यक्ति का भाग्योदय होता है, उसका पिता चोर होता है। वह व्यक्ति सुख में भी दुःख देखता है।

जब तृतीयेश सप्तम या अष्टम स्थान में हो तो राजद्वार में मृत्यु होती है। वह मनुष्य या तो चोर होता है या परस्त्रीगमन करने वाला होता है और बाल्यावस्था में उसे प्रतिदिन कष्ट मिलता है। जब तृतीयेश लग्न या लाभस्थान में हो तो व्यक्ति अपनी कमाई से धनवान होता है। मूर्ख, महारोगी, साहसी और दूसरे की सेवा करने वाला होता है।

जब तृतीयेश धन-स्थान में हो तो व्यक्ति स्थूल होता है। दूसरे की स्त्री और धन में उसकी रुचि होती है। वो आलसी होता है, उसे सुख नहीं मिलता तथा वो दुष्ट प्रकृति का होता है।

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