भाव पर ग्रहों की दृष्टि

ग्रहों की दृष्टि 

जन्म कुण्डली में ग्रहों की दृष्टि बड़े महत्व की बात होती है। दृष्टि के प्रभाव को समझने के लिए हम सूर्य का उदाहरण ले सकते हैं। सूर्य जब उदय होता है। तब उसकी किरणें तिरछी होती है, इसलिए उनमें ताप कम होता है। जैसे-जैसे सूर्य अंश बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे उसकी किरणों में ताप बढ़ता जाता है। जब सूर्य हमारे सिर पर आ जाता है, तब उसकी किरणें सीधी पड़ती हैं और अधिक गरमी बरसाती हैं। जब सूर्य अस्त होने को होता है, तब उसकी किरणें तिरछी होती हैं, अत: उनमें ताप कम होता है।

ठीक इसी प्रकार जब कोई ग्रह कुण्डली के किसी भाव को अपनी सीधी पूर्ण दृष्टि से देखता है, तब उस पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

पूर्ण दृष्टि के अतिरिक्त ग्रहों की कम दृष्टि (त्रिपाद, द्विपाद, एकपाद) भी होती है; किन्तु विशेष प्रभाव पूर्ण दृष्टि का ही होता है । ग्रह योगों में भी केवल पूर्ण दृष्टि को ही लिया जाता है, कम दृष्टि को नहीं।

सभी ग्रह सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। अर्थात कोई भी ग्रह कुण्डली के जिस भाव में भी बैठा हो, उससे सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है। जैसे कोई ग्रह यदि प्रथम भाव (लग्न) में बैठा हो, तो उसकी पूर्ण दृष्टि सातवें भाव पर होगी। यदि कोई ग्रह दूसरे भाव में होगा तो आठवें भाव पर उसकी पूर्ण दृष्टि होगी। यदि कोई ग्रह तीसरे भाव में स्थित है तो तीसरे से सातवें अर्थात् नवम भाव पर पूर्ण दृष्टि डालेगा। इसी प्रकार जो ग्रह चौथे भाव में स्थित हो वह दशम भाव पर, पंचम भाव में होने से एकादश भाव पर, छठे भाव में बैठे होने पर व्यय भाव पर अपनी पूर्ण दृष्टि डालेगा। सप्तम भाव में स्थित ग्रह प्रथम लग्न भाव को, अष्टम भाव में बैठा ग्रह दूसरे भाव को, नवम भाव में स्थित ग्रह तीसरे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। इसी प्रकार दशम भाव में बैठा हुआ ग्रह चतुर्थ भाव को, एकादश भाव मे बैठा हुआ पंचम भाव को तथा बारहवें व्यय भाव में बैठा हुआ ग्रह छठे भाव को अपनी पूर्ण दृष्टि से प्रभावित करता है।

विशेष दृष्टिः उपरोक्त सप्तम भाव दृष्टि के अतिरिक्त, मंगल, गुरु एवं शनि इन तीन ग्रहों को विशेष दृष्टियां भी प्राप्त हैं

1. मंगल चौथे और आठवें भाव पर भी पूर्ण दृष्टि रखता है।
2. गुरु पंचम और नवम भाव पर भी पूर्ण दृष्टि रखता है।
3. शनि तीसरे और दशम भाव पर भी पूर्ण दृष्टि रखता है।

कोई ग्रह जहां बैठा है, वहां से किस-किस भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है, यह नीचे और स्पष्ट किया जाता है।
सूर्य, चन्द्र, बुध, शुक्र – जहां स्थित हों, वहां से सातवें भाव पर।
गुरु – जहां स्थित हो, वहां से पंचम, सप्तम, नवम भाव पर।
मंगल – जहां स्थित हो, वहां से चतुर्थ सातवें व आठवें भाव पर।
शनि – जहां स्थित हो, वहां से तीसरे, सातवें व दसवें भाव पर।
राहु एवं केतु की दृष्टि भी सप्तम भाव पर मानी जाती है।

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