स्फटिक की वस्तुए
१. स्फटिक माला - इसको पहनने में हमें किसी भी क्षेत्र में संघर्ष को धूमिल करने में सहायता मिलती है। यह हमारे शरीर में विद्युत प्रवाहित करके रक्त के संचार को सुचारू रूप से रखती है
२. स्फटिक श्री यन्त्र - 'श्री' का अर्थ है लक्ष्मी, श्रीयन्त्र को ही लक्ष्मी यन्त्र कहा जाता है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति श्रीयन्त्र की पूजा करता है उसके घर में लक्ष्मी जी का वास रहता है। श्रीयन्त्र सुमेरू पर्वत से ही १४ रत्न प्राप्त हुए थे।
३. स्फटिक श्री गणेश - दुर्भाग्य नाशक नवग्रह के प्रमुख व किसी भी पवित्र कार्य में सर्वप्रथम गणेश की ही पूजा होती है।
४. स्फटिक शिवलिंग - पर्वतत्व का प्रतीक है। बाईबल में (पिलर ऑफ फायर) का जिक्र आया है जो 'लिंग' को ही दर्शाता है। पुराणों के अनुसार लिंग, भगवान शिव की शक्ति है। घर में लिंग रखने पर शक्ति का विकास होता है।
५. स्फटिक नन्दी - शिव के तेज को केवल नन्दी ही सहन कर सकता है। अत: शिवलिंग के साथ नन्दी का होना अनिवार्य है।
स्फटिक हमारी आत्मा का दर्पण है। यह अपने आप में वशीकरण शक्ति लिए हुए है। इसलिए सभी को आकर्षित करता है। अत: उपरोक्त पूजा की वस्तुएँ अनभिज्ञता के लिए भले ही शोपीस हों, परन्तु यदि अज्ञानवश भी इन सबको एक जगह रख दें तो इनका चमत्कार स्वतः मालूम पड़ जाएगा।
स्फटिक के गुण-दोष - स्फटिक मणि सफेद, चमकदार भारी और हल्की तथा ब्राह्मण वर्ण की होती है। इसका स्वामी वरुण है। यह पुष्कर, नर्मदा, ताप्ती, विन्ध्य, हिमालय, वर्मा, लंका आदि में पायी जाती है। जाल, गड्ढा, काले सफेद लाल बिन्दु ये चार दोष हैं। ऐसी मणि नहीं धारण करनी चाहिये। अर्थात् दोषरहित मणि लेना चाहिये।
स्फटिक में आठ गुण होते हैं - (१) निर्मल झलक (२) अच्छा घाट (३) सफेद रंग (४) चिकना (५) चमकदार (६) गुलाबी, पीत, श्यामवर्ण (७) साफ अंग (८) तेजस्विता । ऐसा गुणयुक्त स्फटिक धारण करने से तेज, बल और वीर्य बढ़ता है।