ज्योतिष में लहसुनिया रत्न
लहसुनिया केतु ग्रह का रत्न है। केतु ग्रह के प्रकोप से बचने के लिए लहसुनिया पहना चाहिए । यह रत्न काफी प्रभावी माना जाता है। राह को दशा को भी यह रत्न अनुकुल रखता है। राहू. केतु तथा शनि की दशा में भी धारण किया जा सकता है।
इसके धारण से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। दिमागी परेशानियां दूर होती है। लहसुनिया अनुकुल आ जाये तो शीन ही मालामाल बना देता है। इस रल को चांदो या पंचधात की अंगठी में जड़वा लेना चाहिये । बुधबार या शनिवार के दिन प्रातः सूर्य उदय होने से पहल शुद्ध जल या मंगाजल में धोकर अपने इष्टदेव के चित्र, मृति आदि के चरणों से स्पशंकर सीधे हाथ को बीच वालो अंगली में धारण कर लेना चाहिये। विश्वासपूर्वक धारण की हुई वस्तु सफलता अवश्य देती है।
लहसुनिया को पिस्टी या भस्मी आयुर्वेद चिकित्सा में काम आती है। इससे वायुशल, कृमि, रोग, बवासीर, कफज्वर, मुखगन्ध आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।