कर्क लग्न में गुरु सप्तम भाव में
यहां भाग्येश गुरु केन्द्र में मकर राशि (नीच) गत होते हुए भी शुभ फल देगा। भाग्येश, भाग्य स्थान से ग्यारहवां होने से जातक को पिता की सम्पत्ति, कुल व प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। गुरु की दृष्टि एकादश भाव पर होने के कारण जातक को अपने धंधे-व्यापार में उत्तम लाभ मिलेगा।
कुलदीपक योग व केसरी योग – गुरु की स्थिति कुण्डली में कुलदीपक योग एवं केसरी योग की सृष्टि कर रही है। ऐसा जातक अपने कुटुम्ब-परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करता है। जातक यशस्वी होता है। केसरी योग के कारण जातक जिस काम में हाथ डालेगा उसमें उसे लगातार सफलता मिलती चली जाएगी। सप्तमस्थ गुरु के कारण पत्नी धार्मिक एवं भीरू मनोवृत्ति वाली होगी। जातक की पत्नी पतिव्रता होगी एवं सुन्दर अंगों वाली होगी।
प्रथम भाव पर दृष्टि होने के कारण जातक स्वस्थ एवं आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होगा। तीसरे भाव पर दृष्टि होने के कारण जातक के जीवन में विशेष यात्रायोग बना रहेगा। भाई एवं भागीदारों के साथ सम्बन्ध सामान्य रहेंगे। ऐसा व्यक्ति अपनी जाति की कन्या से विवाह करता है।