कर्क लग्न और आयुष्य योग

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कर्क लग्न और आयुष्य योग


1. कर्क लग्न के लिए सूर्य मारकेश होकर भी मारक नहीं है। शुक्र सहायक मारकेश का काम करेगा। शनि एवं बुध परम पापी व अशुभ हैं। आयुध्य प्रदाता ग्रह चन्द्र है।

2 कर्क लग्न वालों को मृत्यु जल से. संक्रामक रोग से, अग्नि से, घाव से, कैप्सर, मधुमेह, जलोदर, किसी महारोग से तथा अत्यधिक परिश्रम से होती है।

3. कर्क लग्न वालों की औसत आयु सामान्य स्थिति में 70 वर्ष आंकी गई है। जीवन के उपरान्त 11 माह, 1, 3, 5, 7, 9, 12,13,16, 20, 27, 32, 35, 38, 42, 45, 47, 51, 55, 58, 59, 61 ओर 67 वर्ष की आयु में शारीरिक कष्ट एवं अल्प मृत्यु का भय रहता है।

4. यदि कर्क लान में चन्द्रमा वृषभ का, शनि तुला में गुरु मकर में हो. तो जातक पूर्ण यशस्वी एवं चिरंजीवी होता है।

5. यदि कर्क लग्न में कर्क का नवमांश हो, गुरु केन्द्र में मंगल मकर में, शुक्र सिंहासनाश में हो तो ऐसा जातक चिरंजीवी होता है।

6. कर्क लग्न में यदि शुक्र केन्द्रवर्ती होकर गोपुराशा में हो. गुरु पारावतांश में होकर त्रिकोण में हो तो व्यक्ति चिरंजीवी होता है।

7. कर्क लग्न हो तथा धनु का नवमांश हो तथा नवमांश में गुरु लग्नस्थ हो तथा नवांश में तीन या चार ग्रह उच्च के हों तो जातक साक्षात् ब्रह्मा के समान यशस्वी एवं चिरंजीवी होता है।

8. कर्क लग्न में गुरु हो, शुक्ल पक्ष में दिन के समय का जन्म हो एवं मंगल सातवें तथा शनि चौथे स्थान में हो तो जातक पूर्ण यशस्वी एवं चिरंजीवी होता है।

9. कर्क लग्न हो तथा सभी ग्रह कर्क से लेकर मकर राशि में क्रमश: उच्च या स्वगृही हो या कर्क में गुरु, चन्द्र, सिह में सूर्य कन्या में बुध. तुला में शनि, वृश्यिक या मकर में मंगल हो तो जातक ऋषि-मुनियों की तरह दीर्घजीवी, यशस्वी एवं चिरजीवी होता है।

10. कर्क लग्न में गुरु हो, शनि तुला में हो. सूर्य बुध के साथ स्थिर राशि (वृष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ) में हो, चन्द्रमा वृष में हा. शुक्र मिथुन में हो तो जातक ऋषि मुनियों की तरह दीर्घजीवी, यशस्वी एवं चिरायु होता है। 

11. कर्क लग्न में चन्द्रमा यदि कर्क, वृश्चिक या मौन राशि में हो तो जातक इष्ट-पुष्ट शरीर वाला होता है।

12. कर्क लग्न में चन्द्रमा हो तथा चन्द्र, शनि और मंगल से दृष्ट हो तो व्यक्ति छोटे कद का एवं कुबड़ा होता है।

13. कर्क लग्न में गुरु लग्न में मंगल मकर एवं शुक्र मीन या वृष में हो, अन्य सभी ग्रह केन्द्र स्थानों में हो तो जातक 120 वर्ष की परमायु को भोगता है।

14. कर्क लग्न में गुरु चन्द्र हो, शुक्र एवं बुध केन्द्र में हो, सूर्य, मंगल और शनि तीसरे, छठे या एकादश स्थानों में हो तो ऐसा व्यक्ति 120 वर्ष की परमायु को भोगता है।

15. कर्क लग्न में पंचम भाव में वृश्चिक का चन्द्रमा, त्रिकोण में गुरु एवं दशम स्थान में मंगल हो तो जातक दीर्घायु होता है।

16. कर्क लग्न में शनि आठवें हो तो जातक दीर्घायु को भोगता है अथवा शनि यदि पंचम भाव में वृश्चिक का हो तो भी दीर्घायु होती है।

17. कर्क लग्न में शनि चन्द्रमा के साथ सप्तम भाव में केन्द्रवर्ती हो तो जातक स्वस्थ व सौ वर्ष से अधिक दीर्घायु को भोगता है।

18. कर्क लग्न में दशमेश मंगल पंचम भाव में, अष्टमेश शनि केन्द्र में अन्य शुभ ग्रहों के साथ हो तो जातक सौं वर्ष तक जीता है।

19. कर्क लग्न में अष्टमेश शनि लग्न में, गुरु एवं शुक्र के द्वारा दृष्ट हो तो जातक सौ वर्ष को दीर्घायु को प्राप्त करता है।

20. कर्क लग्न में चन्द्रमा छठे धनु का हो, अष्टम स्थान में कोई पाप ग्रह न हो तथा तभी शुभ ग्रह केन्द्रवर्ती हो तो जातक 86 वर्ष की स्वस्थ आयु को प्राप्त करता है।

21. कर्क लान में गुरु उच्च का हो, चन्द्रमा बलवान हो तथा शुभ ग्रह केन्द्र-त्रिकोण में हो तो जातक 80 वर्ष की आयु को भोगता है।

22. कर्क लग्न में शनि मेष का, मंगल पांचवें वृश्चिक का. सूर्य सातवें मकर का हो तो व्यक्ति 70 वर्ष की निरोग आयु को प्राप्त करता है।

23. कर्क लग्न में लग्नेश चंद्रमा लग्न को देख रहा हो तथा सभी शुभ ग्रह केन्द्र में हो जातक की आयु 70 वर्ष की होती है।

24. कर्क लग्न में सूर्य मंगल शनि हो, चन्द्रमा द्वादश या पंचम भाव में हो, गुरु बलहीन हो तो जातक की आयु 70 वर्ष की होती हैं।

25. कर्क लग्न में गुरु+बुध सूर्य लग्नस्थ हो. शनि मीन राशि का नवम में तथा चन्द्रमा शत्रु क्षेत्री होकर द्वादश में हो तो एका प्रकार का राजयोग बनता है पर ऐस व्यक्ति की आयु मात्र 66 वर्ष की होती हैं।

26. कर्क लग्न में तुला का चन्द्र चौथे, उन का मंगल सातवें, उच्च का सूर्य दसों स्थान में किसी अन्य शुभ ग्रह के साथ हो तो ऐसा जातक राजातुल्य ऐश्वर्य को भोगता हुआ 50 वर्ष की आयु में गुजर जाता है।

27. कर्क लग्न में अष्टमेश शनि सातवें हो चन्द्रमा पाप ग्रहों के साथ छठे या आठवें स्थान में हो तो ऐसा व्यक्ति 5 वर्ष की आयु में गुजर जाता है।

28. कर्क लग्न में शनि किसी भी अन्य ग्रह के साथ लग्नस्थ हो, चन्द्रमा आठवें या द्वादश स्थान में हो तो ऐम जातक सैद्धान्तिक एवं विद्वान होता हुआ 52 वर्ष की आयु में गुजर जाता है।

29. कर्क लग्न में लग्नेश चन्द्रमा पाप ग्रहों के साथ अष्टम भाव में हो तथा अष्टमेश शनि पाप ग्रहों के साथ छठे स्थान में किसी भी शुभ ग्रह से दुष्ट न हो तो ऐसा जातक मात्र 45 वर्ष तक ही जी पाता है।

30. कर्क लग्न में शनि मंगल हो, चन्द्रमा आठवें, गुरु छठे शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो जातक 32 वर्ष की अल्पायु को प्राप्त करता है।

31. कर्क लग्न में द्वितीय या द्वादश भाव में पाप ग्रह हो, लग्नेश हो, लग्नेश चन्द्रमा निर्मल हो तथा लग्न, द्वितीय व द्वादश भाव शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो जातक 32 वर्ष की अल्पायु को प्राप्त करता है।

32. कर्क लग्न में शनि दो पाप ग्रहों के मध्य हो, चतुर्थ भाव का स्वामी शुक्र, छठे स्थान में पाप ग्रह के साथ हो, चन्दमा पाप दृष्ट एवं निर्बल हो तो ऐसा जातक 67 वर्ष की आयु में अपने ही नौकर द्वारा अस्त्र में मारा जाता है।

33. कर्क लग्न में सूर्य कुम्भ में एवं शनि सिंह राशि में परस्पर स्थान परिर्वतन करके बैठे हो एवं शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो बालारिष्ट योग बनता है। ऐसा बालक 12 वर्ष की आयु के पूर्व मृत्यु को प्राप्त करता है।

34. कर्क लम्न में सूर्य-मंगल आठवें हो, लग्नेश चन्द्र निर्बल हो, अन्य शुभ योग न हो दो तीर्व बालारिष्ट योग बनता है। उपाय न करने पर ऐसा बालक एक मास में ही मृत्यु को प्राप्त कर जाता है।


 

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