आपकी आयुर्वेदिक दिनचर्या केसी हो?

40 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को गेहूँ के दाने जितना चूना, पानी या छाछ या दही के साथ जरूर लेना चाहिए। चूना वात के रोगो का नाश करता है। इससे कमर, घुटने व जोड़ो के दर्द नहीं होते। (पथरी वाले चूना ना खाये।)

आपकी आयुर्वेदिक दिनचर्या केसी हो?
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आयुर्वेदिक दिनचर्या 


1. सुबह उठते ही बासी मुँह से जितना ज्यादा पी सको गुनगुना पानी पीए।
2. जब भी पानी पीये नीचे बैठ कर एक-एक घुट मुँह में गोल गोल घुमा के पीए।
3. भोजन बनाते समय सूर्य प्रकाश और पवन का स्पर्श भोजन को जरूर मिलना चाहिए।
4. भोजन पकने के बाद जितना जल्दी हो सके उसका उपभोग हो जाना चाहिए।
5. सुबह का भोजन सूर्योदय से ढाई घंटे के अंदर करें, जो सबसे ज्यादा पंसद है वो खाये। दोपहर का भोजन सुबह से थोड़ा कम करें। शाम का भोजन सूर्यास्त होने से पहले बिल्कुल कम करें (ना ही करे तो अच्छा) ।
6. खाने के 45 मिनट पहले और खाने के डेढ़ घंटे बाद तक पानी ना पीए।
7. खाने के बाद सुबह किसी भी फल का रस, दोपहर को छाछ और रात को देशी गाय का दूध पीए।
8. हमेशा सेंधा नमक का रसोई में उपयोग करे। इससे शरीर को बहुत से पोषक तत्व मिलते हैं।
9. भोजन में मैदे का उपयोग ना करें। गेहूँ का आटा 10 दिन और मकाई, बाजरा और जुआर का आटा सात दिन से पुराना ना खाये।
10. सुबह और दोपहर का भोजन करके 10 मिनट वज्रासन में बैठे और 20-25 मिनट वाम कुक्षी (बायीं ओर) अवस्था में सोये। इससे भोजन पचता है और काम करने की क्षमता बढ़ती हैं।
11. ठंडे पेय, शराब और चाय ना पीए, उसकी जगह पीने पिलाने की बहुत सी चीजे हैं। जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, संतरे का जूस आदि।
12. सोते समय पारिवारिक व्यक्ति को दक्षिण दिशा में सन्यासी, ब्रह्मचारी और विद्यार्थी को पूर्व दिशा में सर रखकर सोना चाहिए
13. भोजन खूब चबा चबा कर करे। आयुर्वेद में निवाले को 32 बार चबाने का विधान हैं।
14. घर में एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग ना करें। उसकी जगह मिट्टी के बर्तन या तांबे, पित्तल, लोहे और स्टील का उपयोग कर सकते है।
15. भोजन के बाद बिना सुपारी, तंबाक और कत्था का पान जरुर खाये। ये कफ, वात और पित्त को बराबर रखता है।
16. 40 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को गेहूँ के दाने जितना चूना, पानी या छाछ या दही के साथ जरूर लेना चाहिए। चूना वात के रोगो का नाश करता है। इससे कमर, घुटने व जोड़ो के दर्द नहीं होते। (पथरी वाले चूना ना खाये।)