भाव के अनुसार रोग एवं दुर्घटना विचार
प्रथम भाव
सिर-दर्द मस्तिष्क शून्यता, मानसिक दुर्बलता, इससे उत्पन्न चक्कर, मानसिक व्याधियाँ, नजला एवं मानसिक दुर्बलता से उत्पन्न दुर्घटनायें।
द्वितीय भाव
नेत्ररोग, कर्णरोग, मुखरोग, नासिकारोग, दन्तरोग, गले के रोग, मृत्युकारक रोग, कष्टकारी दुर्घटनायें।
तृतीय भाव
श्वासरोग, दम्मा, दम फूलना, क्षय रोग, फेफड़े के रोग, खाँसी, कण्ठ एवं गले की खराबी, हस्त दुर्घटनायें एवं हस्त विकलांगता।
चतुर्थ भाव
वक्षरोग, हृदय की अस्थियों, मानसिक विकार एवं उक्त स्थानों पर ही आघातजन्य दुर्घटनायें।
पंचम् भाव
मंदाग्नि, अरुचि, जिगररोग, पित्तरोग, तिल्ली-गुर्दे के रोग, उदररोग एवं पेट पर लगी चोटें।
षष्ठम् भाव
कमररोग, पेडुरोग, आँतरोग, एपेन्डोसाइटिक, हर्निया, पथरी, अस्मरी, कमर पर लगने वाली चोटें।
सप्तम् भाव
प्रमेह, मधुमेह, प्रदर, उपदंश, पथरी, गर्भाशय, वस्ति में होने वाले रोग आदि।
अष्ठम् भाव
गुप्तरोग, वीर्यरोग, भगन्दर, उपदंश, कामजन्यरोग, वृषणरोग, डिम्बाशयरोग, मूत्रकृच्छ, योनिरोग आदि। काम दुर्बलता या प्रबलता से उत्पन्न अक्रोश या क्षुब्धता एवं उनसे उत्पन्न दुर्घटनायें।
नवम् भाव
मासिक धर्म रोग, डिम्बाशयरोग, यकृतरोग, रक्तविकार, वायुविकार, कूल्हे का दर्द, मज्जारोग आदि।
दशम् भाव
कम्पन, गठिया, चर्मरोग, अस्थिदर्द, जोड़ों का दर्द, वायुजनित रोग आदि। सम्मान में ठेस लगने से उत्पन्न क्षोभ और उक्त के कारण हुई दुर्घटना
एकादश भाव
पैरों के रोग, पैरों में लगी दुर्घटनावश चोटेंपैरों का कटना, पैरों की हड्डी का टूटना, पैरों की हड्डी या जोड़ों में दर्द, शीत रोग, शीत-प्रकोप से उत्पन्न दुर्घटनायें, रक्तविकार।
द्वादश भाव
शारीरिक दुर्बलता, असहिष्णुता से उत्पन्न दुर्घटनायें, नेत्रविकार, पोलियो, एलर्जी, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि।
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